नमी भी गुज़र गयी, हाथो से हाथ गुज़र गया
तेरे इंतज़ार मे आँख भर गया
छत पे बैठे बैठे चाँद को देखता रहा
पीछे से बिन बताये, रात गुज़र गया
कमरे की चादरें चीख चीख कर तेरे होने की गवाही देती रही
मैंने जरा सी नज़रें क्या हटाई
चादरों की चीख और पुकार मुकर गया
मै अकेला बैठ देखता रहा साथ वाली तस्वीरों को
देखते देखते तस्वीरों को जज्बात आँखो मे भर गया
उनके जानकारों ने बताया उनके मुकर जाने की वजह
सुनकर उन बातो को मै सिहर गया
वक़्त का गर साथ मिलता तो सज़ा-ए-तड़प उन्हे सुनाई जाती
हाथो मे मेरे नमक होता और उनके जख्मों पर लगाई जाती
वो चीखती दर्द से किसी खास को खोता देखकर
साँसे तो होती पर सज़ा-ए-मौत सुनाई जाती
एक अधूरे रिश्ते के उतार चढ़ाव मे एक इंसान बदल गया
देखते देखते ये सारा साल गुज़र गया !!!-
कानों के झुमके को देखकर मेरा आहिस्ता मुस्कुराना...
उसके माथे की बिंदी और मेरा यूँ मर जाना...
देखा था मोहब्बत मे आशिक को उसके नाम के बहाने बनाना
और उसकी गैरमौजूदगी मे यूँ घबराना....
सबकुछ तो ठीक था फिर रेत मुट्ठी से फिसल गयी क्यों...
मोहब्बत मे लैला बदल गयी क्यों...
एक रोज़ उसके नाम का खत मिला मेरे बगीचे मे...
पढ़ा तो लगा, मोहब्बत मे आँखे मेरी जल गयी क्यों...
खत मे जुलाई की तारीख बराह थी...
उसके मेहंदी वाले हाथो की तस्वीर और गुलाब ग्यारह थी...
खत की लिखाई को देख मै भी मुस्कुराने लगा था...
साथ वाली तस्वीर सामने आई और साल दुहराने लगा था....
और मै देख मोहब्बत को जाते पलकें भीगाने लगा था...
उसने लिखा था खत मे....
दुल्हन के जोड़े मे देख मुझे तुम भी मुस्कुराना....
सुनो, शादी मे जरूर आना !!!
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मेरे घर के रस्ते मे एक गली आई है
देखा है मैंने छत से झाक - कर
मोहल्ले मे नई कली आई है !!!
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बहता गया वो अरमानी हो गया
अपनी ही मोहब्बत का निशानी हो गया
रास न आई दुनिया को मोहब्बत उसकी
बिन कुछ कहे वो पानी हो गया !!!-
न हो मालूम तो पूछना मेहफिल मे
किवाड की आहट सुनाई देगी...
हाथो मे हाथ, और नई दुनिया दिखाई देगी
न बहकेगी, न बुझेगी रोशनी तेज हवा के झोंकों से...
इंतज़ार ए मोहब्बत मे फकत रश्में नई कई दिखाई देगी !!!-
झुकी पलकों से भी गर दीदार हो जाए.... काश कुछ ऐसा हो की कल फिर से शनिवार हो जाए....
मिलेगा वक़्त तेरी यादों से खुद को मेहफूज़ रखने का....
क्या हो अगर इस हफ्ते दो इतबार हो जाए !!!-
सुना है वो अब चाँद का दीदार नही करती
कही ऐसा तो नही, मुझसे प्यार नही करती !!!-
जब रूठ जाऊंगा मै भी,
तो मनाने कौन आयेगा.....
तेरे साथ बिताए लम्हों को
वापस सजाने कौन आयेगा....
कौन आयेगा मेरे साथ शीशे वाली तस्वीर मे....
मै भी गर झुका लूँ नजरे तो
तुझे सताने कौन आयेगा....
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न सबब किसी शम्मे की,
न उसके आने का खबर था
झुकी पलके, भीगे नैन
ये शायद उसके जाने का असर था !!!-
मेरी माशुका का बस ख्याल रखना
क्यों गया खामोशी से, बस बनाये ये सवाल रखना...
अगर करे ज़िद तो पहेलियों का सहारा लेना तुम...
तोड़-मरोड़ कर जो दिया जा सके, बस साथ वो जवाब रखना...
थोड़ी नादाँ है, हक़ीक़त पर रोने वाली है...
उसकी साँसों को छुकर जो जाए, बस पास उसके मेरे वो एहसास रखना....
मेरी माशुका का बस ख्याल रखना !!!-