ज़िंदगी की दौड़ में ये हम कहाँ आ गए?
थक गए ,रुक गए, फिर से चल दिये।।
कल ही निकले थे, इतनी दूर आ गए:
अब सोंचते हैं, ये हम कहाँ आ गए।
कामयाबी मिली, ख़ुशी मिली;
खुशियां मनाने वाले वो अपने नहीं रहे।
कामयाब हुए फिर भी अधूरे रहे;
जो मेरे अपने थे वो न जाने कहाँ चले गए।।
ज़िन्दगी की दौड़ में ये हम कहाँ आ गए।
ज़िन्दगी की दौड़ में ये हम कहाँ आ गए।।
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