satya ratnakar   (Dil ki kalam se (SR))
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Joined 16 July 2019


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5 JAN AT 21:37

तुम हो एक कुड़ी नादान सी...,
प्यारी सी..,भोली भाली नाजुक जान सी...।
तुम्हारे लिए एक दिली पैग़ाम आया है..!
तुम्हारे जन्म दिवस पर ढेर सारा परियों का सलाम आया है।।

दिल के हर कोने से बस एक ही आवाज है, तुम कभी न हो मुझसे जुदा...!
भगवान करें तुम्हे दुनिया की हर खुशियां मिले, जन्म दिन मुबारक हो सुधा...!!


Happy birthday dear sudha

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1 JAN AT 0:20

••••नव वर्ष की शुभकामनाएं••••
**2025**


ना कोई बैर, ना आपके लिए कोई द्वेष भाव है।
आया जो नया साल, हम सबके लिए एक नया पड़ाव है।।
जो था, जैसा भी था, जो बीत गया वो साल पुराना है।
नए साल की आपको ढेरों बधाइयां, इस साल में हर पल खुद को आजमाना है।।


आपको और आपके पूरे परिवार को
नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाएं🎉🎊🥳🥳🥳
Happy New Year 2025

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4 AUG 2024 AT 19:57

•••आओ सुनाऊं एक गाथा अपने याराना की•••

•••••••{पार्ट 2}••••••

ग्रुप में एक बछरू सा लड़का, दिखता भोला भाला सा।
जब भी हम पार्टी में जाते, सबको लुटता जैसे पुरानी फिल्मों के लाला सा।।
ग्रुप में एक थी ब्यूटी क्वीन, एक्स- ब्लेड से हुई थी स्वीप क्लीन।
एक्स- ब्लेड था उसके पास, जो दिन भर सुट्टा मारता जैसे तारे गिन गिन गिन।।

जोक सपाट सच में हर पल था खास, जब मिल बैठते थें हम साथ यार।
आज भी वो रौनक सी छा जाती, जब देख लेता हुं वो फोटोज़ अपने हजार।।

Miss You All Guys❤️😘😘
& lOve You all Yaar💕💝
Happy Friendship Day besties

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4 AUG 2024 AT 19:52

•••आओ सुनाऊं एक गाथा अपने याराना की•••

सुनो सुनो एक बात सुनो.., दोस्तों की दास्तान सुनो।
जिस दोस्तों में सब रंग रूप हो, ऐसा कोई ग्रुप चुनो।।
कोई पढ़नता, कोई कमाऊ, कोई शरीफ तो कोई चालबाज जी।
जो भी हो जैसा भी हो.., पर हर कोई यहां खुश मिजाज सी।।

समय चल रहा था सन दो हजार सत्रह, जब अपनों में पहचान हुई।
फुदक फुदक कर रोज मिल बैठते, वो परितोष में चाय सरेआम सी।।
घंटों खड़े हो उस रैलिंग पे, एक - दूसरे की खूब खिंचाई होती थी।
सच बताऊं तो हम मुरझाएं पर, हंसी मजाक की सिंचाई होती थी।।

कोई भोला भाला तो, कोई खुद को लौंडीबाज कहलवाता था।
हर दूसरे दिन कोई टिकट दिखाकर, कहता मैं लौंडियां घूमकर आया था।।
जब भी हम दोस्तों के बीच में, चाय पीकर जब बिल देना होता था।
वो दस रुपया निकाल कर देता, और हमेशा उसके पास साला बस 10 ही रुपए रहता था।।

ग्रुप में एक छोटी सी बच्ची, मेरे चिढ़ाने पे रो देती थी।
ग्रुप में सारे पार्टी ले लेते, तभी वो चुप रहूं कहती थी।।
ग्रुप में एक सीधा साधा लड़का, उससे सरीफी हरदम टपकते थे।
खुल कर जी ले भाई थोड़ा, ये अक्सर हम उससे कहते थे।।

•••••••{पार्ट 1}••••••


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31 JUL 2024 AT 18:58

मन भटकते रहता है....!

तुम आश हो, तुम ऐहसास हो।
तुम हो मुझमें कुछ इस तरह, कि हरपल लगे वो पल खास हो।।
पर सच कहूं तो तुम बिन मन कहीं न लगता है।
बढ़ गई जीवन में इतनी उलझने, कि हरपल मन भटकते रहता है।।

आज तुम मेरी कमज़ोरी हो, कल तुम ही मेरी ताक़त रहोगे।
आज संघर्ष भरा हर क्षण है मेरा, कल तुमसे ही मेरा नाम होंगे।।
अथक प्रयास कर मैंने तुम्हें पाना चाहा, मिलोगी आज न सही आने वाले कल में।
मुझे अंतर्मन की शांति चाहिए, यूं एक क्षण का रुख नहीं मुझे चाहिए वो हर पल में।।

#Govt Job ki chah
#inner peace ki raah

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31 JUL 2024 AT 18:32

यूं तो सभी कहते हैं साला इस बार कर जाऊंगा।
जो भी हो हालात अपने जज़्बा पर मेहनत कर दिखाऊंगा।।
इतना भी आसान नहीं है मेरे दोस्त सफलता का रास्ता।
पहले खुद को तू बोल हां मैं हर शर्त में खुद को झोंक जाऊंगा।।


एक बात तू हरदम याद रख, तेरी मेहनत ही तेरी सच्चाई है।
जिसने भी टूट कर मेहनत की, उसने ही परिणाम पाई है।।
आज नहीं तो कल वो जरूर होगा, जिस लक्ष्य की तुझे चाह है।
जिस मंजिल को तुमने देखा, एक मात्र तू ही उसका राह है।।
एक मात्र तू ही उसका राह है...!!!


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31 JUL 2024 AT 18:11

जरूरी नहीं की हर इश्क़ की मंजिल हो..,
जरा हमसे पूछिएगा तो खुल कर बताएंगे आपको।
बहुत सी रातें बिताई है हमने किसी के यादों में तड़प कर...,
जरा हमसे पूछिएगा कैसे तकिया भीग जाया करते हैं दिखाएंगे आपको।।


यूं रात भर किसी को टटोलते रहना,
चाहे सामने वाला हमें छोड़ दे पर हमारे तरफ से उन्हें हरदम अपना कहना।
आसान नहीं है किसी के होकर भी उसका न होना,
जरा हमसे पूछिएगा कैसा होता है रात रात भर का रोना।।


जरूरी नहीं की हर इश्क़ की मंजिल हो...!!!!

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31 JUL 2024 AT 15:24

कुछ वाक्या ऐसे भी होते हैं जिन्हें बोला ना जा सके, पर लिखा जा सकता है।
किसी न किसी के कलम से ऐसे बहुत से पंक्तियां हैं, जिन्हें पढ़ काफी कुछ सीखा जा सकता है।।
अब और कितना ही ताक़त बताऊं मैं कलम की, ऐ मेरे दोस्त।
कलम ने ऐसे बहुत से कहानी दिए, जिसे पढ़ते हुए भी उस कहानी को जिया जा सकता है...!!!


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23 JUL 2024 AT 0:02

♪••काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती••♪

जिसके पायलिया की छन छन से,जिसके चूड़ियों की खनखन से।
मन बावरा सा हो जाता, उसके ऐवन और यूं बनठन से।।
काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती....!!

जिसके रोम रोम हो मेरे लिए प्यार भरा, जिसमें मैं रहता यूं नशा तरह।।
जो बिन मेरे कुछ तड़प सा जाए, जिसकी पतली सी कमरिया मेरा मन लुभाए।।
काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती....!!

जिसके साड़ियों के पल्लू में, मैं खुद को हरदम उलझा पाता।
जिसकी सरक सरक साड़ी मुझे, उसकी ओर मुझे हरदम खींच लाता।।
काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती....!!

जो मेरे लिए सोलह श्रृंगारकर, मुझपे न्योछावर हो जाती।
जिसकी माथे की बिंदी व कुमकुम, मेरा मन मदहोश कर जाती।।
काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती....!!

जिसके साड़ी के बीच खुली कमर देख, मैं पागल सा यूं हो जाता।
जिसके काजल भरी चक्षु में और, सोलह श्रृंगार में मैं खो जाता।।
काश मेरी भी कोई ऐसी पत्नी होती....!!

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22 JUN 2024 AT 12:14

कोई वजह तो दो, तुमसे फिर से प्यार करने का..!
रिश्तों में बंधा हुं तब तक रूठना मनाना तो चलता रहेगा।
गर गलती हुई है तो सजा तो दो, सर झुका कर हां कहूंगा.!
साथ होके भी दूर हूं, क्या खता हुई हमसे ये सोंच में में मचलता रहेगा।।
हां रिश्तों में बंधे हैं, तब तक रूठना मनाना तो चलता रहेगा...!!!



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