Satvik Sharma   (Satvik Ranaday)
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Joined 19 November 2017


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Joined 19 November 2017
21 JAN 2022 AT 14:36

जो वक़्त मैं अब
नौकरी पर बिता रहा हूँ,
ये मुझपर तुम्हारा उधार रहेगा ,
जिसकी भरपाई मैं तुमपर
कविताएँ लिखकर करूँगा !



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15 MAR 2019 AT 11:20


13 FEB 2019 AT 1:54

कुछ वादे मैं भूल गया ,कुछ वादों से वो मुकर गई ,
वो वक़्त थी सो गुज़र गयी , मैं गम था सो वहीं रहा !

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12 FEB 2019 AT 10:53


31 DEC 2018 AT 17:12

है लत जिसे नशे की शाम होते ही शराब संभाल लेता है ,
हम दीवाने हैं जिस शक़्स के बस उसे निहार लेते हैं !

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13 DEC 2018 AT 18:56

अजीब है ये शहर-ऐ-मोहब्बत, यहाँ शोर भी है ,सन्नाटा है ,
शायद हर कोई दीवाना है तुम्हारा ,यहाँ घर भी हैं , वीराना है ,

मैं जो पूछता हूँ तुम्हारा पता गलियों में घूमते कई चेहरों से ,
कोई खामोश होकर सुनता है , कोई सुनकर खामोश रहता है !

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8 DEC 2018 AT 3:36

वो जो कहा करती थी खुद को मेरी मुस्कान कभी ,
उन दोनों को देखे अब एक ज़माना बीत गया है !

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30 OCT 2018 AT 23:56

मैं जो देखता हूँ उसे मुझे मेरा कल याद आता है ,
इक रास्ता है जो मेरे घर से तेरे घर को जाता है !


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5 OCT 2018 AT 18:40

मुझमें और मेरे दिल के रिश्तों में ,
इतना सा ही बस फर्क है


के कुछ लोग जो मुझसे मिलों दूर रहते हैं ,
वही कुछ लोग दिल के मेरे बहुत करीब हैं !

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3 OCT 2018 AT 0:36

धूप में फिरता हूँ मुझे छावं अब कहाँ नसीब होती है ,
वहाँ मकान हैं अब जहाँ कभी पेड़ हुआ करते थे !

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