Sattpurush Saran   (Sattpurush Saran)
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Joined 18 October 2019


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Joined 18 October 2019
21 AUG AT 6:09

जिंदगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया.....।
हम सीख ना पाए "फरेब", और दिल बच्चा ही रह गया.....।
बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे, जहां चाहा रो लेते थे....।
पर अब मुस्कान को तमीज चाहिए, और आंसुओं को तन्हाई.....।
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से, देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में....।
चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं !

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3 AUG AT 17:39

कुछ रिश्ते यादों के लिए ही बनते हैं,
भविष्य के लिए नहीं..

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19 JUL AT 8:49

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6 MAY AT 15:19

एक, गुब्बारे खरीद रहा था ,
एक, गुब्बारे बेच रहा था ,

कच्ची उम्र दोनों की लगभग बराबर सी थी ,

एक बचपन जी रहा था ,
एक बचपन बेच रहा था ।

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6 MAY AT 15:18

AI खा गई एक कलाकार को
उसकी उदास आंखों में मैने देखा
एक गहरा विषाद अपनी ही कला के लिए

AI खा गई एक कलाकार की आंखों का संतोष
जो उसे अपनी कला से मिलता था
वो खा गई वो मुस्कान जो उसे अपनी
कला को पूर्ण करने पर खिलती थीं

लोग Ghibli ट्रेंड में खुश है पर ये एक ट्रेंड खा गया
उस विलक्षण प्रतिभा को

जिसने अपनी उम्र लगा दी इस कला के लिए
उसकी आंखों के आंसू मुझे बता रहे थे की ये
एक दिन इस मानवता को खा जाएगी

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10 MAR AT 13:42

एक रात एक बात लिखूंगा
मैं तुम्हें मेरे साथ लिखूंगा
बड़ा सा चांद और ठंडी हवाएं
फिर आपके हाथ में मेरा हाथ लिखूंगा
हकीकत में आप शायद कभी मिलोगे नहीं
एक किताब में मैं अपनी मुलाकात लिखूंगा
मेरी किताब में सब मेरी मर्जी का होगा
आप सो जाएगी जब मैं दिन को रात लिखूंगा
आप मेरे क्यू ना हो सके ये सवाल लिखूंगा
और आपके दिल में मैं नहीं हूं
तो क्या मैं आपका हूं
ये मैं हर दिन हर रात लिखूंगा ।

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17 FEB AT 23:29

तकलीफ देने के बाद
जताई गई मुहब्बत
और नज़रअंदाज़ करने के बाद
दी गई एहमियत
कोई मायने नहीं रखता

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16 FEB AT 9:11

मुस्कुराहाट कठिन वक्त की
बेहतरीन प्रतिक्रिया है...
और
खामोशी गलत प्रश्न का
बेहतरीन जबाब ...

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24 JAN AT 17:45

उसकी डोली उठी, मेरा जनाज़ा उठा फूल उस पर भी थे,
फूल मुझ पर भी थे

सहेलियाँ उसकी भी थी,
दोस्त मेरे भी थे उनका हंसना वहां, हमारा रोना यहाँ..

वो सज़ के गई, मुझे सजाया गया वो उठकर गई,
मुझे उठाया गया..

फ़र्क़ सिर्फ इतना था उसे अपनाया गया और
मुझे दफनाया गया..!!

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14 JAN AT 21:54

कितनी बातें थी , जो मुझसे छुपाई गई !
बताई भी तो अधूरी ही बताई गई !!

मैं अपने आलोचना को भी , प्रशंसा समझ बैठा !
इसी भ्रम में कड़वी बातें भी सुनाई गई !!

कुछ कदम बढ़ाए ही थे कि ,देखा एक मंजर ,
मैं मौत से लड़ रहा था कि छूट सबकी कलाई गई !!

इसी भ्रम में था कि दुनिया साथ है मेरे ,
ये भ्रम भी टूटा जब साथ तन्हाई गई !!

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