Satish Pardhan   (_शायरी_के_अल्फाज़)
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Joined 14 October 2017


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Joined 14 October 2017
2 APR AT 23:47

पहली मुलाकात थी
चहरे पे नकाब था
पैरो में पायल थी
हाथो में कंगन थे
दिल में धड़कन थी
फिर भी हमारे साथ थी

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22 MAR AT 17:24

सोच रहा था कुछ लिखूं उनके बारे
वक्त ने वक्त ही छीन ही छीन लिया
उनसे बिछड़ने को मजबूत के दिया

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22 MAR AT 17:19

जिन रातों में अक्सर नींद उड़ जाती है
उन रातों में इश्क़ फ़रमाया जाता हैं
वो मौहब्बत का मतलब क्या जाने
जिन्हें कभी इश्क हुआ नहीं

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30 APR 2022 AT 23:57

कड़ी धूप थी

कड़ी धूप थीं औऱ
मौहब्बत का इन्तिज़ार था
उसका आना इत्तफाक था

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30 APR 2022 AT 23:52

सुबह से बैठा रहा इन्तिज़ार में उसके
औऱ आसमाँ भी रोने लगा
उसके इन्तिज़ार में औऱ
वो कहती है चले जाओ यहाँ से

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6 APR 2022 AT 15:23

इश्क़ हुआ है हमें भी उनसें
था इश्क़ उन्हें भी हमसें
बेवफ़ाई के दौर में
क़सूर हमारा ही निकला

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20 OCT 2021 AT 23:32

इश्क़ कभी गुलाब देखकर नही होता
अक़्सर
कुछ तितलियाँ गुलाब पर बैठ जाती हैं

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20 OCT 2021 AT 23:18

बदनामी का सिला उसकी मौहब्बत से मिला
हर बार एक किस्सा नया सुना
ना जानें किसकी थी नज़र उस पर
औऱ हम नज़र जमाये बैठे थे

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7 OCT 2021 AT 8:31

इश्क़ में न जाने कितनों
को बेवफ़ाई मिली हैं
मौहब्बत एक से हुईं औऱ
ना जानें कितनों को रुसवाई मिली

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7 OCT 2021 AT 8:17

जिन रातों में अक्सर नींद उड़ जाती है
उन रातों में इश्क़ फ़रमाया जाता हैं
वो मौहब्बत का मतलब क्या जाने
जिन्हें हमनें मौहब्बत करना सिखाया

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