आज वक़्त ले कर हम वक़्त के साथ बैठ गए ,
कई शिकायतें थी मगर सहमे हुए ठहर गए ।
बड़े आसानी से वक़्त ने ही ये सवाल पूछ लिया,
कैसे इतने सितम के साथ इतना गुज़ारा कर लिया ।।
अब हमारे फ़ितरत में कहां हम् अपनी उल्फतों की बदनामि कर पाते ,
हमने भी ये बता दिया ऊमीदें रखना जुर्म था जिसका जुर्माना भर लिया ।।
अभी हासिल न कुछ हुआ कि गवाया हर एक पल हैं ,
शामिल हर पल में जो था मिटाना हर एक कल हैं ।।
कभी फुरस्तों में वक़्त के साथ भी वक़्त बितालिया करना ,
बड़ी कीमती चीज़ हैं ये ,हो सके तो खुद को तराश लिया करना ।।
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एक वक्त था जब तुझ्से मिलने की खुशी नही संभलती थी,
अब अफसोस करना छोड़ दिया है हमने ,
अब तेरे सूरत को सोच भी देता हूँ तो घिन आ जाता हैं,
इस कदर इस रिश्ते को बदनाम कर दिया है तूने ।।
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एक वक्त था जब तुझ्से मिलने की खुशी नही संभलती थी,
अब अफसोस करना छोड़ दिया है हमने ,
अब तेरे सूरत को सोच भी देता हूँ तो घिन आ जाता हैं,
इस कदर इस रिश्ते को बदनाम कर दिया है तूने ।।
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कभी कभी सोच में पड़ जाता हूँ कैसे मोहब्बत का नांम दे दिया उस रिश्ते को ,
जिसमे तुमने नफरत भरने में कोई कसर न छोड़ा,
बड़ा फ़क्र होगा खुद पर सरे आम उसे बदनाम करते हुए ,
जिस रिश्ते को तूमने तिल तिल कर तोड़ा ।।
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सुना हैं पत्थर का दिल चाहिए मोहब्बत करने के लिए ,
पत्थर में भी जगह कहाँ के इतने नफरत भर सके ,
शायद तुम्हारा सीना ही खोखला रह गया होगा ,
गैरों में इतना दम कहाँ जो हमारी मोहब्बत को बदनाम कर सके ।।
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तजुर्बा रद्दी के भाव में बिक गयी जनाब ,
जब ज़िन्दगी ने सवाल पूछ लिये ,
सौदा ये उम्मीदों का क्या कर लीया ,
जवाब तो सोने के दाम में बिकने लगे ||
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यूँ नाता हर बुरे इंसान से न जुड़ गया हमारा ,
कुछ कमियां मेरे किरदार में रह गयी, कुछ हकीक़त को समझने में ।।-
बड़ा गुरुर था उन्हें जिन्हें लगता था किनारे तक का सफर मुकम्मिल होगा,
ज़रा समंदर में तूफान क्या आयी उनका तोह कश्ती ही डूब गया ।।-
यूँ तो दिल लगाने की शौक़ हम सदियो पहले गवा चुके थे ,
फिर उसने झूठी कसमें देकर इसे ताउम्र कैद कर लिया ।।-
जितना वक़्त तूने मेरे बीते कल को खुरेदने में गवा दिए ,
उतने वक़्त मे शायद हमने हमारा कल तराश लिया होता ।।-