मैं प्यासा पथिक, तू तालाब थी जाना।
तेरा जाना जैसे मेरे लिए अकाल हो गया!
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
कई रंगों से रंगी है ये ज़िंदगी।
मगर जो ज़ेहन में उतर जाए,
यक़ीनन वो रंग इश्क़ का होगा।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
स्त्री के सीने से वात्सल्य रस,
बूँद बन जब भी टपकता है।
सृजित हो उठता नव जीवन,
सृष्टि नई वो गढ़ता है।
उसकी आँचल की नर्म छाँव जब,
गालों पर किसी के पड़ते हैं।
हर आँसू उसमें समा जाती,
फिर सुकून उसी में मिलते हैं।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
स्त्री मन, हृदय और रोम-रोम,
गुंबद पर फहराती पताका है।
जिसके दर्शन से ही मात्र,
पवित्र स्थल का बोध होता है।
~©सर्वोत्तम भारती-
सामान सैंता है बरे सलीकों से,
लगता है कि घर में कोई औरत रहती है।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
यादों से कह दो कि, ना आए!
वगरना मौत हुई तो इल्ज़ाम उसी पर आएगा।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
कई हादसा एक साथ हुआ...
बालों का लहराना, नज़रों का झुकना,
दुपट्टे का मेरी कलाई से उलझना,
और फिर मेरे दिल का घायल हो जाना।
~©सर्वोत्तम भारती-
तुम्हारी यादों को संजोकर रखा है मैंने इस तरह,
कि इक मज़दूर जोड़ता है जैसे पाई-पाई अपनी।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
गर इश्क़ हो जाए तो आँखे फोड़ लेना अपनी,
ताकि फिर कोई चेहरा कभी आँखों में ना उतरे।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-
क्या कहा, जन्मदिन की मुबारकबाद देनी है?
ठहरो, मैं खुद को कब्र से उठा कर लाता हूँ।
~© सर्वोत्तम भारती ✍️-