आज जिगुतिया है हां हां पता है
आप शहर वाले है आपको पता नही होगा....
तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की ये वो त्योहार है जो
मां अपने बेटे के लम्बी उम्र के
लिए करती है
और हां ये इतना आसान भी है की मां को 24 घंटे के लिए निर्जल रहना परता है बस सिर्फ इस लिए की उसके बेटे की लम्बी उम्र हो और उसे दुनिया की हर खुशी मिले
आसान नही है दोस्त आसान बोलना ये सिर्फ मां ही है जो आपके लिए निस्वार्थ करती वो भी इस लिए की आप खुश रह सके.....
तो जिगुतिय कर रही हर मां को मेरा परनाम हैं
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इतनी आंधी के बाद भी
वो पौधा वैसे ही खड़ा था
क्योंकि उसे झुकना आता था...😊-
चलो मैं शाम बनता हूँ
तुम ज़ाम बनोगी क्या
कर लूं प्यार तुम से मैं
मेरे प्यार का अंजाम बनोगी क्या..!!-
ज़िन्दगी का सफर कुछ ऐसा लग रहा है
चलते हुये भी सब कुछ ठहरा सा लग रहा है
कुछ ऐसे नाराज है जिंदगी हम से
और पीठ पे ज़िम्मेदारी का बस्ता भारी लग रहा है..!
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सफ़र में अगर हम भी बदल जाये
तो ताज़्ज़ुब ना कीजियेगा...
ख़ुद को निहारियेग और अपना
पुराना वक़्त याद कीजियेगा...!!-
आज शाम तुम्हारी गोद में सर रख के सोना चाहता हूँ
अपनी अंशु से तुम्हारी पल्लू को भिगोना चाहता हूँ
ज़िन्दगी घिरी है परेशानियों में अब कोई आहट भी नही है
माँ सिवा तेरे ज़िन्दगी में अब कोई चाहत भी नही है...!-
क्या कहे क्या ना कहे ये दिल की रज़ा है
उगता सूरज ढलते हुये ये केह गया.....
अकेलापन में भी बहोत मज़ा है........!!
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एक शाम इतनी पीना चाहता हूं
जहाँ सिर्फ़ तू याद रहे तेरी याद नही..!!-