धर्म से ऊपर उठकर पहले मानव धर्म का फर्ज निभाएं
मानव के कल्याण से बढ़ कर कर्म कौन सा नेक है
सब धर्मों के रंग मिलाकर एक तिरंगा हम फहराएं
आओ मिलकर दुनिया को संदेश दें "हम सब एक हैं"
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but have enthusiasm to write
जनता कर्फ्यू के पालन का
हम सब मिलकर कार करें
करें भला ना भले किसी का
पर खुद पर उपकार करें
स्वच्छ रहें और स्वस्थ रहें
कुछ ऐसे दूर विकार करें
आएं हम सब एक साथ
मिल कोरोना पर वार करें
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संविधान की रक्षा को संकल्पित जो हो सबकी वाणी
भारत माता की जय गूंजे चले किसी की ना मनमानी
जन गण मन सब एक साथ जो देश हित सहयोग करें
"सर्वेश" सफल हो तब जाकर गणतंत्र दिवस ये हिन्दुस्तानी
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कुछ लोग कितने अजीब होते हैं
दूसरों को परेशान देख मदद करें ना करें
बेवजह का ज्ञान जरूर दे जाते हैं-
गांव की मिट्टी संग बचपना छोड़, शहर की ओर बढ़ चला हूं
इतनी उम्र बिता दी फिर भी, ये शहर अनजान सा लगता है
शोर - सराबा, चकाचौंध सब है, बस सुकून तलाश रहा हूं
वैसे भीड़ बहुत है फिर भी, यह शहर वीरान सा लगता है-
चाहें रास्ते जिद्दी हों या मंजिलें जिद्दी हों
मिल ही जाएंगे एक दिन गर जो हौसले जिद्दी हों
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क्यों न घर परिवार में अपने, थोड़ा संयम रख लें हम
अपनों से है झगड़ा कैसा, एक - दूसरे को समझें हम
बात जो घर से बाहर निकले, फिर बातें बनने लगती हैं
क्यों न चारदीवारी तक ही, बात को सीमित रख लें हम
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बुराईयां ढूंढने से बेहतर चार लोगों की अच्छाईयां सीख जाएं
ना भूलें अपने संस्कार को और चार विचार अच्छे जुड़ जाएं
मार्ग चुनें सच्चाई का हरदम दो चार विघ्न भले ही आ जाए
दृढ़ संकल्प लिए मन में सफलता की चार बुलंदियां छू जाएं
तो फिर चार दिन की चांदनी क्या हर दिन चांदनी हो जाए
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आज कल के बेटे करते हैं क्या कमाल
दो गज जमीन के लिए कर देते हैं बवाल
जो अपनी ख्वाहिशें मार बच्चों की पूरी करते
वही मां बाप क्यों बन जाते जी का जंजाल
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