वफाओं की कीमत किस तरह चुकाते हैं,
ज़रा हमारे सनम से पूछिए
तिल तिल कर मर रहे हैं
और उफ्फ तक नही करते
नोंच कर उन्हें खा रही हैं तन्हाईयाँ
मगर शरीर से उन्हें हटाने की हरकरत तक नही करते
मिटते जा रहे हैं वो,
खाख होती जा रही है ज़िन्दगी उनकी,
मगर इस आग को बुझाने की हिमाकत तक नही करते।
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दबी हुई सी हसरत ले कर चल रहे हो दिल में
एक तुम ही नही तन्हा और भी कई हैं महफ़िल में
हमसफ़र तो बहुत मिलते हैं
मगर कुछ ही साथ निभाते हैं राह-ए-मंज़िल में।-
किसी माशूक को देखे ज़माने हो गए
न जाने वो किसे देख कर मुस्कुरा रहे थे
मगर उन्हें देख हम उनके दीवाने हो गए।-
रुलाए हम भी गए हैं, रुलाए तुम भी गए हो
सताए हम भी गए हैं ,सताए तुम भी गए हो
फर्क सिर्फ इतना है
की तुम्हारी महफ़िल में हम नाचीज़
और हमारी महफ़िल में तुम 'खुदा' बताए गए हो।-
मेरी बर्बादी का सारा ज़िम्मा, मेरे ही सर डाल
साकी ने तो बस नज़र से पिलाई थी
मेरे बेहोश होने का सारा ज़िम्मा, मेरे ही सर डाल
उसने तो बस अपनी पलकें ही उठाईं थी।
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जो कभी किसी से न डरते थे,
उन्हें कायर बनते देखा है
जो कभी पत्थर दिल थे उन्हें,
आज शायर बनते देखा है।-
अलावों और चिरागों की जरूरत नही सर्द रातों में,
बस एक हमसफ़र चाहिए होता है बाहों में
के फिर रात यूँ ही गुज़र जाती है,
खोए हुए इश्क़ की पनाहों में...-
ये दुनिया बोहोत ही खूबसूरत होती,
अगर जैसी दिखती है, ये वैसी ही होती।
अगर नही मिलता सहारा ग़मों का,
तो मानो की जीने में कमी सी ही होती।-
चले गए वो दिन,
के अब न लौट कर आएंगे।
हम थे उनकी यादों में खोए,
खोये ही रेह जाएंगे।
वो नींद में सुनहरे खाब देखते होंगे
हम रात भर कोई उदास धुन गुनगुनाएंगे।
जान लुटाने की बात करते थे हम जिनपे
वो कभी हमे जानने से भी मुकर जाएंगे।
एक वक़्त था जब आहट से पहचान जाते थे उन्हें,
नही सोचा था, वो बिना बताए चले जाएंगे।
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अस्तित्व की परिभाषा वो,
हर जीव की अभिलाषा वो,
जन्मदात्री कहते सब,
ये जिसके साथ न हो,
हर पल पछताता वो...-