तू मिले तो लगे हर दर्द मेरा फीका है,
तेरे बिना ये दिल हर पल ही अधूरा सा है।
तेरी आँखों में जो गहराई मैं रोज़ डूबूँ,
तेरे होंठों पे जो खामोशी, वो भी मेरा लिखा सा है।
तेरे छूने से जैसे रूह तक सिहर जाए,
इश्क़ तेरा मुझे हर साँस में नज़र आए।
ना दूरी, ना मजबूरी अब कुछ भी मंज़ूर नहीं,
बस तू मिल जाए, फिर कोई हद ज़रूरी नहीं।-
तेरे होंठों की नर्मी में डूब जाऊँ रात भर,
तेरे सांसों की गर्मी से जल जाऊँ बार-बार।
तेरी उँगलियों का हर लम्हा मेरा बदन पढ़े,
तेरे छूने से रूह तक सिहर जाए धीरे-धीरे।
तेरी बाहों में खो जाने को दिल करता है,
तेरे सीने पर सो जाने को मन मचलता है।
तेरे जिस्म की खुशबू से नशा सा छा जाता है,
हर रात तुझमें घुलने का ख्वाब आ जाता है।-
*जब खुद पर बीती हो,
तभी शब्द समझ में आते हैं*
*वरना कहीं हुई बातो मे सिर्फ
सुविचार ही नजर आते हैं!-
Maturity is realising :
ख्वाब, ख्वाहिश और लोग
कम हो तो ही बेहतर है...
और ना ही हो
तो बेहतरीन...!!
🖤🖤-
तू चाँद सा रोशन, मैं रात का साया,
तेरे बिना दिल ने हर लम्हा गवाया।
तेरी हँसी में है जादू सा कोई,
हर दर्द को तूने पल में भुलाया।
तेरे बिना अधूरी सी लगे ज़िंदगी,
तेरे साथ हर घड़ी लगे बंदगी।
तेरे प्यार में खो जाना है प्यारा,
तू ही मेरा सपना, तू ही सहारा।
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अच्छा किया कि बात किया मुझसे,
मैंने जाना कि जीना किसको कहते हैं,
फिर नज़र अंदाजी से समझाया भी,
की मौत का होना किसको कहते हैं..!!-
मैं टूट बिखर जाता हूं तो सब लिख लेता हूं,
किसी से कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ती..!!-
काम उनका था मदद मांगी भी उन्होंने,
मैं खामखा बदनाम हुआ सारी बस्ती में,
यूं तो ठीक था कि कुछ तो कहते हैं कहने वाले,
मगर उन्होंने सबसे कहा कि दाग है मेरी हस्ती में..!!-
अपनें आप में बंधे हैं खुलेंगे कैसे,
कोई और क्या कहेगा सहेंगे कैसे,
कब तक घिरे रहेंगे भरम के धुंध में,
अन्दर की रौशनी को निकालेंगे कैसे,
डर डर के चाहतों की चाहत बदल गई,
नब्ज़ में दौड़ते लहू की सियासत बदल गई,
जो आग था गरम था गरमी चली गई,
जो पानी की आदत थी नरमी चली गई,
मिला है एक सहारा तैरना सीख जाएंगे,
जो अकड़े थे अंग चलाना सीख जाएंगे,
हल्की बारिश सी है झेल जाएंगे ऐ ज़िंदगी,
वक्त लगेगा हवा से बवंडर बनाना सीख जाएंगे..!!-
आज फिर तेरी यादों की सुबह सी हैं,
हल्की सी कोहरे की धुंध और ओस सी आंखों में नमी सी है...
पलकें भारी हैं रात से अभी भी यादों के बोझ से,
जैसे मीलों का सफ़र तय किया हो और सफर मैं हैं...
लब्जो पे ख़ामोशी हैं और कदम लड़खड़ा रहे हैं,
सांसों में बेचैनी हैं और आंखों में उम्मीद लिए हैं...
कभी मिलोगे इस उम्मीद से अपने घर का दरवाज़ा खोले हुए हैं...
ये सफ़र यही न थम जाए जरा मुझसे पूछिए,
तुझसे मिलने की अर्जी ख़ुदा के दरबार में लगाए हुए हैं...!!-