बारिश की वो बूंद हूं जो पत्ते पर रह गई और तुम तक ना बह सकी,
बात और हे कि तुम्हारे जाते ही दूसरों के पैरों में आगई..-
Sarthak Jain
(Zindadil - alive)
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|Dharmo rakshati rakshitah|
Joined 7 April 2017
22 JUN AT 21:17
20 JUN AT 21:38
किसने कहा कि मैं हिंसक नहीं हूं
कभी सिगरेट पीते हुए देखो मुझे किस तरह खुद को मारता हूं..-
7 APR AT 22:24
पनप रही हैं मोहब्बत दिल के एक कोने में
उसका आना कोई नकली धूप तो नहीं..-
13 NOV 2024 AT 18:26
माना की हमे माशूका की कमी खली है
मगर इस दौर में हम और हमारी सिगरेट भली है...-
15 MAR 2024 AT 10:23
खुद से ही नफरत होने लगी है
इतना टूटकर चाहा तुम्हे
अब चाहत से घिन होने लगी है..-
29 FEB 2024 AT 17:27
तेरी हर नाकामी, खामी को हमने अपनाया
बस तुझसे एक हम नही अपनाए गए...-
29 FEB 2024 AT 17:20
तुमसे इश्क संभला नही, इसलिए हम चल दिए,
खैर अब ये बताओ, कौनसी तरकीब निकाली है हमे बदनाम करने की...-
24 FEB 2024 AT 15:55
सांसे दंग है, धड़कने तेज़ है
बड़ी बेचैनी है,
हा हम उनका इंतजार कर रहे है..-