दिल तो सही सलामत है,
न जाने क्यों आधे अफसाने सा लगता है
उठ रहा है दर्द सीने में बड़ी जोर से,
नये जमाने का लगता है..!-
उनका सामना कर नहीं पाते हैं,
फिर भी उनके करीब जाते हैं
बहुत समझाया उनको,
अब खुद को ही समझाते हैं..!-
जलते-जलते बच गये हम
तपती धूप से
उन्हें जो देखा छाँव में
जल गये हम उनके रूप से..!-
काँच थोड़े है
जो गिरने से टूट जायेगा,
धागा इतना भी कमजोर नहीं
कि उलझनों से रूठ जायेगा,
साथ देने का वादा किया है
ऐसे ही थोड़े हाथ छूट जायेगा..!-
ज्यादा बड़ा नहीं,
बस इत्ता सा ख्वाब है
कि जब आँख से बादल बरसे
तब गम का दरिया
आंसुओं में सिमट जाये
मैं उसे आवाज दूँ जरा सी
वो दौड़कर आये
और सीने से लिपट जाये..!-
आपके सहारे हैं,
पतवार आपके हाथ में
आप ही दूर हैं,
और आप ही साथ में..!-
कब तक याद करें उन्हें
जिनकी जुबाँ पे हमारा जिक्र नहीं,
अब उन्हें नहीं
तो हमें भी उनकी फिक्र नहीं..!-
उनकी खूबसूरती पर क्या लिखें हम
वो इतनी खूबसूरत हैं कि
हमें हम भी खूबसूरत लगने लगे..!-
तन्हा छोड़ हमें ,
बदलते ज़माने के साथ
वो भी बदल गये
बेशक वक्त लगा उनके बगैर
लेकिन अब हम भी सम्भल गये..!-
वो सामने हो तो,
उनके हुस्न को
दूर से ही निहारते रहते हैं
नजदीक नहीं जाते,
बस आँखों में भर के
हाथों से उनके केशों को
सवारते रहते हैं..!-