उस पत्ते से पूछो क्या होता है ?
अपनो से बिछड़ना जाना ,
उसे क्यों नीचे गिराया गया ,
न शाखा ने सहारा दिया, न हवाओं ने बक्शा ।
उसे सबसे ज्यादा अपनों द्वारा ही सताया गया।।
यह सोच के उसका मन भर आया ,
छोड़ते क्यों है अपने अपनों का साथ ?
हृदय मेरा कोमल मैं पेड़ का पराग था ,
आशाएं थी मन में ,
मै उस सूरज की आग था ।
खैर छोड़ो इन बातों का अब क्या लेना – देना ,
जो लिखा है विधाता ने वही है होना ।।
– रविकांत-
Sarkari Updates
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Joined 28 April 2025
29 JUN AT 9:16
23 JUN AT 12:28
तुम बीते दिनों को याद कर ,
जरूर अफसोस करोगे ..।
छोड़ा था किसी को पाने को ,
यह सोच के रोया करोगे।।
–रविकांत-
7 JUN AT 11:09
तू मेरे शहर में नया आगंतुक बन कर आया है।
ज़रा सम्भल कर चलना,
इस शहर की तंग गलियों में तुझे खोने से डरता हूँ ।।
- रविकांत-
11 MAY AT 15:14
जितना चाहा है तुम्हें, कोई और नहीं चाहेगा ।
तुमने हमे छोड़ा है, तुम्हे भी कोई छोड़ के जाएगा ।।
मेरे जाने के बाद अधूरे तुम भी रहोगे ।
किसी ने चाहा था खुद से भी ज्यादा ,
ये तुम खुद कहोगे ।।
- रविकांत
-
2 MAY AT 11:39
कब तक ऐसे चुप बैठोगे,
जाके जयचंदों को मारो।
दुश्मन घुटने टेकेगा ,
पहले गद्दारों को मारो।
– रविकांत-
28 APR AT 10:38
हमे तुम्हारे पास नहीं जाना चाहिए था ,
उम्मीदों का गुलदस्ता नहीं बनाना चाहिए था ,
हमे छोड़ के चली जाती वो अच्छा था ,
लेकिन, तुम्हे बार बार नहीं मनाना चाहिए था ।
– रविकांत-