हो गयी गर ग़लतियाँ देर न करना कभी एक गलती की सज़ा गलती से न देना कभी गलतियों का सुधार हो भूल चूक माफ़ हो सोच यही मन सदा अपने रखना सभी सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश 05-07-2022, 22:06
मन मे पाने की कुछ बेकरारी रहे खोज जारी रहे सबसे यारी रहे टूट जाये न रिश्ते नाज़ुक डोर के बिखर जाये न हम ज़रा सी चोट पे दिल से दिल का मिलन रहे जिससे रहे दिमाग से जो हो रिश्ते रहें न रहे दूर पनघट पे अपनी निशानी रहे राह से गुजरे राही उसे पानी मिले मन से कोई न अब व्यापारी रहे सबके सुख दुःख में भागीदारी रहे नदी के राह मे कोई अड़चन न हो दूर जंगल में अब कोई विघटन न हो जंगली हो या शहरी घर सबके रहे भाव हर वस्तु का मन में ज़ारी रहे सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश 03-06-2022, 13:39