जिंदगी की लिखावट कब कहाँ मिलती किसी से
हाँ मगर देखा है मैंने बदकिस्मती हर दौर में
रोज रोज का बहाना करते जिसको देखा है
कहा रहा आकर वो मुझसे ठौर तेरा और है
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-
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आँखों पर चश्मा लगा सिर पर पगड़ी बाँधकर
धूप से बचने चली वो सुन्दरी किस ओर है
नाक आंख कान ढंककर दिख रही कुछ और है
मन की जाने कौन उसके और कैसा ठौर है
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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खोखले होते गए आजकल के रिश्ते नाते
बिन मतलब के कौन यहाँ पर पूछे जाते
जिस दिन मतलब पूर्ण हुआ पूरी रिश्तेदारी
खोजबीन में लग जाते नये की तैयारी
दौर एक था पैसा जोड़ा आज दौर फिर बदला
पैसे को न कोई पूछे खासम खास की बेला
सुबह दोपहर रात नहीं समय यहाँ मिल पाए
अपने आप में जीना मरना सबको ही भाये
मगर बात जब हुई वर्ग की वार्तालाप बढ़ा है
खींचतान में दूजे के देखो रार ठना है
और मगर जब हो जाएगा पीड़ित अपने मन से
तन की सुनेगा उसके हारेगा अनबन से
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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चलना अगर है चलो संग चलें
निगाहों में सपने संग में लिए
दिखाई है देती बड़ी दूर दुनिया
नयनो की बातें छुपा कर चलें
मुझे है भरोसा खुद से भी ज्यादा
तेरी बाजुओं में उम्मीद का धागा
ना तोड़ा है तुमने कभी भी इसको
तुम्हारे बिना जीने का न इरादा
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-
ठिकाना कहाँ इक जगह है यहाँ
मुसाफ़िर हैं हम तुम शहर हर नया
चलो चलते जाएं राहें जहाँ तक
मिलेंगे नये और पुराने वहाँ पर
न टूटे आस न टूटे ये साँसे
भले हो अलग एक दूजे से हम
मिटेगी लकीरें और भी आकर
चलेंगे अगर पांव धीमे धरा पर
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ उत्तर प्रदेश-
रह गया ख़्वाब मेरा आज भी बस ख़्वाब ही
जाने कब पूरा हुआ उमंग और उल्लास है
नींद आयी ही नहीं था अँधेरा पास भी
भोर का साया समझ खो गया फिर ख़्वाब ही
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-
भर नहीं सकता कोई मन के तुम्हारे घाव को
तुमको ही करना पड़ेगा मजबूत अपने आप को
निराश होकर कब मिला इन्साफ दुनिया में यहाँ
उलझनों से ही निकलकर खुद को देना ताव है
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-
टूटकर इक बार फिर से
दूर जाना चाहते हैं
आपसी रंजिश को
बस मिटाना चाहते हैं
दौर है तन्हाई का
दुनिया बढ़ी महँगाई है
रोककर कुछ ख्वाहिशें
खुशियाँ निभाना चाहते हैं
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-
कैसे तुझे याद करेंगे
दिल से क्या कहेंगे
मंजर आँखों देखा जो
किससे फरियाद करेंगे
उम्मीद जो सधी सबने
क्या परिणाम भरेंगे
धैर्य विफल होता अब
कब अंजाम सुनेंगे
सरिता त्रिपाठी-
कविता दिवस
मन को हल्का करने का, आधार बताती है कविता
जीवन के हर राहों का, विस्तार बताती है कविता
लिखने और मिटाने का, किरदार बताती है कविता
सरल शब्द में कठिन भाव का, संचार बताती है कविता
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-