आत्म सम्मान या रिश्ता
कभी कभी आप ऐसे दोराहे पर खड़े होते हैं, जहाँ हमें फैसला लेना होता है कि हम रिश्ते बचाए या आत्म सम्मान?
उस समय मुझे आत्म सम्मान सबसे ऊपर लगता है क्योंकि आपको छलने और नीचा दिखाने वाला व्यक्ति आपका रिश्तेदार हो ही नहीं सकता।-
वो आँसुओं में बह गए,
कुछ रेत सरीखे थे,
वो मुट्ठी से फिसल गए।
अब जो शेष है,
वो अवशेष बन गए।
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Yes, moon is a friend because it reflects real friendship. Sometimes dark and sometimes bright.
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अगर मुमकिन होता,
तेरे कदमों में सितारें बिछाता,
चांद से तुम्हें रोशनी दिखाता,
अगर मुमकिन होता,
खुदा से उसकी कलम चुराता,
और दुनिया की सारी खुशियां,
तुम्हारे नाम कर जाता।-
तुमको जाना है तो जाओ,
मैं शायद ना रहूं, जब तुम वापस आओ।
परंतु तुम्हारी खुशी की चाबी जो,
मैंने अपनी फोटो के छुपा रखी है,
उसे लेने तो आओगे ना!
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जहां हम सबसे ज्यादा खुद को जान पाते हैं।
अपने लिए जीना सीखते हैं और चुप रह कर जितेंद्रिय बन जाते हैं।-
सच तो ये है कि रिश्ते झूठ की बुनियाद पर ही टिके हुए हैं।लोग आशीर्वाद देते हैं कि जिंदगी में हमेशा बेहतर करो। लेकिन वो खुद नहीं चाहते कि आप उनसे बेहतरीन बनो।
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