बात बात पर यूँ शरमाना
लरज़ कर पलकें झुकाना
बहुत लुभाता है दिल को
यूँ बेबाक तेरा मुस्कुराना-
दर्द दिया जब अपनों ने मरहम की दरकार किस से करें
लहरें ही जब डगमगा दें नैया गिला पतवार से क्या करें
सपनो की कश्ती को उम्मीदों की हिलोर से खेते रहो
भुलाकर ज़ख्मो को चलो फिर दिल की दुनिया गुलज़ार करें-
गम लिखा था जिंदगी में खुशियाँ कहाँ से लाते
नाकाबिल थे हम तुमको कहाँ से पाते
मिलना बिछड़ना सब खेल है तकदीरों का
वर्ना तुम से कब मिल पाते-
मेरे आँगन की दहलीज पर बिखरी कहकशा हो
हवाओं सी शोख नदियों सी चंचल
आफ़ताब सी शीतल गुलाब सी कोमल
वफ़ा से लबरेज़ नूरे महताब कितनी लाज़वाब हो तुम
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प्रेम केे धागों से बुने रिश्ते नाते
केवल नसीब वाले ही हैं पाते
निखर जाते है कभी अनकहे अहसास से
कभी चटक जाते हैं शीशे की तरह सुलगते जज्बात से
जिधर प्यार मिले उधर ही घूम जाते हैं
रिश्ते सूरजमुखी केे फूलो की तरह होते हैं
टूट ना जाएं ठहराव से रिश्ते सभांलना इन्हे प्यार और विश्वास से-
आरज़ू ना रही और कोई
एक तेरे दीदार केे बाद
मिल गई जन्नत सनम
पूरी हुई दिल की मुराद-
दे जाते हैं गहरे घाव कभी
तो मरहम भी कभी लगाते हैं
निकल गए जो शब्द बांण जिह्वा से
वो फिर वापस लौट ना पाते हैं-
मुकर्रर हो गया है तरीका और दिन
इंतकाल का
इंतज़ार ए आलम है अब बस खुदा के इस्तकेबाल का-
मुकर्रर हो गया है तरीका और दिन
इंतकाल का
इंतज़ार ए आलम है अब बस खुदा के इस्तकेबाल का-