ख़ुद की गलतियों से
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*Nature lover
*Love to read books..
*Deshbhakt
अर्ज़ किया है....
की निभाए नहीं जाते, जबरदस्ती कोई रिश्ते,
उस से बेहतर है, उन रिश्तों में दूरियां आ जाना,
बड़ी समझदारी से सुलझते हैं, रिश्तों की गांठ,
पर शायद उस से आसान हैं, रिश्तों को तोड़ कर निकल जाना।
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एक दिन ऐसा आएगा जब सारी बेड़ियां टूटेंगी,
हर कोई खुद में आज़ाद होगा,हर किसी का घमंड टूटेगा।
हर स्त्री गर्व से सर उठाएगी हर पुरुष की आंखें झुकेंगी, एक दिन ऐसा आएगा जब सारी बेड़ियां टूटेंगी ।-
Kabhi kabhi sochti hoon ki ,
Mai jindagi ko jee rahi hoon ya ,
Jindagi mujhe jheel rahi hai .-
जब पेट भरा हो तो नींद अच्छी और गहरी आती है,
पर जब भूख लगी हो तो जवान खून आंदोलन पर ही उतार आते है ।।-
Sometimes I need only myself to walk alone, laugh,dance and to sing loudly ... That nobody watch or hear me .
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वो मुझे मुझसे भी बेहतर जनता है,
जिंदगी है ना,हर वक्त मुझे गिरने से बचाता है ।-
जिंदगी एक तरफ ख्वाहिशें और दूसरी तरफ़ जरूरतों के बीच चलती है,
कब ख्वाहिशें जरूरत में बदल जाती है पता ही नही चलता।-
काफ़िला बड़ी दूर निकल आया,अब लौटने का सवाल ही नहीं,
जब सर पे जिम्मेदारियों की पोटली उठा ही ली तो अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं ।
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आंखों की नज़ाकत को हम खूब समझ लेते है,
थोड़ी हमसे भी नज़रे मिलाई होती तो अच्छा होता ।।-