12 JAN 2018 AT 20:05


माथे पर चमकती लकीरों से,सालों की गिनती हो जाती है,
अनुभवी आँखों से स्नेह छलकता,परिपक्वता मुस्कुराती है,
मौन साक्षी बन कर देखती,हर क्षण का लुत्फ उठाती है,
खिलती जाती पुनः मुस्कान,उम्र ज्यों-ज्यों चढ़ती जाती है।

- सरिता