କିଛି ଜଣ କହୁଛନ୍ତି ବର୍ଷା ଟୋପା ସାରୁପତ୍ର ରେ ବେଶୀ ସମୟ ରହିପରେନା ।
କିନ୍ତୁ ମୋ ମତରେ ,
ବର୍ଷା ଟୋପା ସାରୁପତ୍ରରୁ ଖସିଲେ ମାଟିରେ ମିଶେ ଅର୍ଥାତ୍
ମୁଁ ତମ କୋଳରେ ସେବେ ଯାଏ ରହିବାକୁ ଚାହେଁ ଯେବେ ଯାଏ ମୁଁ ମାଟିରେ ନ ମିଶିଛି
ତେବେ କୁହ ସାରୁପତ୍ର ପ୍ରତି ବର୍ଷା ଟୋପା ର ପ୍ରେମ ଅସରନ୍ତି ନୁହେଁ କି?-
Compiler of "Smruti ra panthasala"
Co-founder of shreeganeshpublication... read more
एक तो बरसात, दूसरा तन्हाई...
तीसरी ये ग़ज़ल,ऊपर से जगजीत सिंह जी का आवाज..-
ତୁ ମୋ ହୃଦୟ ନୀଡ଼ ର
ସେଇ ପକ୍ଷୀ ଯିଏ ଆଉ କେବେ ବସାକୁ ଫେରିବନି...!
ତୁ କହ ତୋ ପ୍ରତାରଣାର ନିଆଁ ରେ
ନୀଡ଼ କୁ ମୁଁ ଜଳିବାକୁ ଦେବି ନା
ଆଜୀବନ ବିଚ୍ଛେଦ ବିରହ ରେ ବାଆ ରୁ ତାକୁ ସାଇତି ରଖିବି.. ?-
ऐ तुम्हारा पलट के देखना,
और फिर अचानक से नजरें घुमा लेना भी
"HIT AND RUN"
का केस है 😀-
ପ୍ରେମ ଯଦି ରାତିର ପୁରୀ ହୁଏ...
ତେବେ ମୁଁ ସବୁ ରାତି ତୁମକୁ,,
ମହୋଦଧି ବେଳାଭୂମି ଠାରେ ଅପେକ୍ଷା କରିଥିବି ..!!-
तुम मुझे फिर एक बार शुरू की तरह मिलो ना
तुम्हारा वो शुरू में चाहना मुझे बहुत याद आता है... !!-
तुम गए क्यूं?
क्योंकि तुमने बोला।
तो तुम वो सब करते हो जो मैं बोलती हूं?
में ऐसा क्या नहीं करता जो तुम बोलती हो?
अगर मुझे बोलकर तुम्हे रोकना पड़े,
तो उस रह जाने का क्या ही तुक ?
अगर मेरे चले जाने से तुम्हे मेरे होने का एहसास हो,
तो उसका भी क्या ही तुक ?
मैं जो नहीं बोल पाती, वो तुम क्यूं नहीं सुन पाते?
मैं जो कुछ भी करता हूं, वो सब तुम क्यूं नहीं देख पाती ?
में कभी नहीं जाऊंगा तुम्हे छोड़कर चाहे तुम कितना भी जाने को बोलो,
मुझे कसके पकड़कर, यह तुम क्यूं नहीं बोल पाए?
तुम कहीं नहीं जा रहे, मेरे हो, मेरे रहोगे,चुप चाप यही मेरे पास रहो, समझे
मुझे डांट लगाकर,तुम यह क्यूं नहीं जता पाई?
उसने अपना मोबाइल उठाया और कमरे से....
अब मैं समझ रही हूं
कुछ बातें कह देनी चाहिये, नहीं तो वो आंखों से बह जाती है।
-
आज फिर उससे मुलाकात हुई,
और फिर हम दोनो की ना बात हुई।।
प्यार नहीं, इश्क है उससे, उसे इसका इल्म तो होगी?
इतनी धूप में खुले बाल, सारी, झुमका, पायल पहन बापूजी नगर के मोबाइल शॉप में टकराना,
इसका कोई तोह वजह होगा ।।
चलो वजह ना सही,
इस गर्मी के मौसम में - "ठंडा पियोगे ? "
यही पूछ लेता,
और जब वो मुझे यह कहता, तो ठंडा मतलब coca cola? "
यह पूछ, में हमारी बैलगाड़ी जैसी लवस्टोरी को आगे बढ़ाती,
और शायद फ्री की एक सॉफ्ट ड्रिंक ही पी अती।।
क्यूं की
आज फिर उससे मुलाकात हुई,
और एक बार फिर, हम दोनों की ना बात हुई।।-
आज फिर उससे मुलाकात हुई,
और फिर हम दोनो की ना बात हुई।
बैठी थी अपनी लिस्ट के साथ,
उसे 'आप' कहूं या ' तुम '
इस उलझन में दिन से रात हुई
सोचती हूं,
अगली दफा मिलने से पहले बर्फ़ वाला पानी पी आऊ,
गला खराब हो जाए, तो खास कर उसका ध्यान खुदपर बटोर लाऊं।
और जब वो मुझसे पूछे आप ठीक है ?
तो ' आप ' नहीं ...' तुम ' यह कहकर
उसे अपना दिल का हाल सुनाऊं।
क्योंकि ,
आज फिर उससे मुलाकात हुई,
और एक बार फिर, हम दोनों की ना बात हुई।-