Sarika Singh   (Sarika Singh ( SASSY ))
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Assistant Commissioner, GST , Govt of UP

I am not a writer, I just love to pen down
Joined 14 November 2016


Assistant Commissioner, GST , Govt of UP

I am not a writer, I just love to pen down
Joined 14 November 2016
13 JUL AT 17:58

आज देर हो गई !

आज घर को
निकल नहीं पाई मैं
सूरज ढलने से पहले
और सूरज भी
ज़रा रुक नहीं सका मेरे लिए

रोज़ उसका प्रकाश
हिम्मत भर देता था मुझमें
रास्ता झट से कट जाता था
मां भी आह भर लेती थी

मेरे घर की देहरी भी
सुकून की सांस लेती थी
मेरे कदमों के नीचे

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9 JUL AT 9:47

बारिश की बूंदे ।

बारिश ...
नाम सुनते ही
जैसे

थमी हुई या
मंद पड़ी दिल की धड़कनों को
एक रफ़्तार सी मिल जाती है

सामने अगर हो
कोई गिला कोई शिकवा
तो वो भी बारिश की
महकती बूंदों में
घुल कर शक्कर हो जाते है

बस गीत हो
बारिश हो
और हो प्रियतम

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6 JUL AT 8:00

ख़ाली हथेलियां।

वो रोज़
अपना सिर झुकाए
अपनी हथेलियों को
देखता है

देखता है
अपनी हथेलियों की
सतह को

इस पार से
उस पार दूर
उंगलियों के पोरों तक

फिर देखता है
दाएं से बाएं तक

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27 JUN AT 19:48

जी लो जिंदगी ।

जीवन की गहराई में
जितना जाओ
या झांको
कुछ हासिल नहीं होता

कितने ही शब्द
क्यों न ले आओ
और झोंक भी दो
सारे के सारे संग

तो भी तो
हर एक की कहानी का
अंत नहीं होता

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20 JUN AT 19:52

फुटबॉल से तुम ।

मुझे
जलन होती है तुमसे
कितनी आसान है
तुम्हारी जिंदगी

बिलकुल
किसी मैदान में पड़ी
फुटबॉल की तरह

कुछ भी
करना नहीं पड़ता तुमको
सब मुझे करना पड़ता है

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9 JUN AT 19:56

कल्पना ।

भरी भरी थाली
हर ओर गोल गोल किनारे तक
कैसे चमक रही है
दूर से ही
उन दो आंखों के अंदर

देख रहीं है
दूर से
मगर जी रहीं है मन तक
वो आंखें उस थाली को

क्या हुआ अगर
उसके हाथों पर भार नहीं पड़ा
चांदी की तरह चमकती
थाली का

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20 MAY AT 19:31

जब तक आती नहीं कोई ख़बर।

रेडियो पर सुना था
ऊपर कोई लड़ाई
छिड़ गई है

सभी की छुट्टियां
कुछ और दिनों के लिए
रद्द कर दी गई हैं

हो सकता है
इस बार कोई खत
भी न आए

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14 MAY AT 21:35

घड़ी की सुइयां ।

थमी हुई दीवार पर
टंगी घड़ी की सुइयां
कभी रुकती नहीं

तुम हो तो भी
नहीं रुकती
तुम नहीं हो तो भी
चलती रहती हैं

किसी के सोने पर
भी नहीं ठहरती
जागने तक चलती है
और फिर सो जाने तक

ये थकती नहीं कभी ?
सोती भी नहीं ?
दो सुइयां एक दूजे से
जब टकराती हैं
तब भी नहीं रुकती

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7 MAY AT 20:48

दिल की आंखे ।

आज दिल
सुबह से मूंह लटका कर बैठा है

किसी की नहीं सुन रहा
ना जुबां की
और न ही आंखों की

कह रहा है
के बंद होना चाहता है
अब तक धड़कना
उसको झूठा लग रहा है

आंखों तक
पहुंचा के लहू
फिर खींच ले रहा ख़ुद में

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4 MAY AT 19:41

हमेशा कुछ भी नहीं !

तुम तो
ऐसे देख रही हो
उसको जैसे

जैसे वो सदियों से
तुम्हारा ही था

आज भी वो
तुम्हारा ही है

और हमेशा ही
तुम्हारा ऐसे ही रहेगा

हमेशा ?

हमेशा के लिए
कुछ होता है क्या ?

Full poetry in caption

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