मुझे हारना आता है ।
कांधों पर
भारी बसते में
लदी केवल किताबें ही
दिखती हैं कभी
कभी कभार
दिख जाता है
ज्योमेट्री के डब्बे का
या पेंसिल बॉक्स का
लदा भार भी
एक और भार होता है
मगर
जो दिखता नहीं
कांधों पर
Full poetry in caption-
I am not a writer, I just love to pen down
ऑफिस वाली स्त्रियों का रविवार ।
रविवार का नाम
सुनते ही
बच्चों की आंखों में
सुबह की नींद के
सपने दौड़ जाते हैं
घर के पुरुषों के
ख्यालों से जीभ तक
न जाने कैसे कैसे
स्वादिष्ट पकवानों के
स्वाद लिपट जाते हैं
कभी कोई
पिकनिक की बात करता है
तो कभी कोई
चिड़िया घर जाने की
Full poetry in caption-
वो लौट कर नहीं आएगा ।
हर बार तो
मैं नहीं बुलाता था
तब भी
जाने के बाद
लौट कर आता था
मैं बंद कर के
जो चला जाता था
किवाड़ में ताला
तो भी वो देख कर
बंद किवाड़
कहीं नहीं जाता था
मुझे आज नहीं तो कल,
कल नहीं तो परसो
टहलता गली में,
Full poetry in caption-
वो केवल एक ही होता है ।
झुंड होता है
तुम्हारे हर तरफ़
और लगभग
हर वक्त
सड़क पर
आते जाते
तुम्हारे ही जैसे
दिखने वालों का
या तुमसे थोड़ा अलग
मग़र होता तो है
जिसमें तुम
कहो तो
घिरे रहते हो
Full poetry in caption-
वो इंतज़ार जो कभी थकता नहीं ।
सब लौट गए
शाम तक ,
तकते तकते राह
सब लौट गए
इंतज़ार किसी का
किसी के भीतर
दम तोड गया
किसी के भीतर
वो पड़े पड़े ही
मूंह मोड़ गया
Full poetry in caption-
आज देर हो गई !
आज घर को
निकल नहीं पाई मैं
सूरज ढलने से पहले
और सूरज भी
ज़रा रुक नहीं सका मेरे लिए
रोज़ उसका प्रकाश
हिम्मत भर देता था मुझमें
रास्ता झट से कट जाता था
मां भी आह भर लेती थी
मेरे घर की देहरी भी
सुकून की सांस लेती थी
मेरे कदमों के नीचे
Full poetry in caption-
बारिश की बूंदे ।
बारिश ...
नाम सुनते ही
जैसे
थमी हुई या
मंद पड़ी दिल की धड़कनों को
एक रफ़्तार सी मिल जाती है
सामने अगर हो
कोई गिला कोई शिकवा
तो वो भी बारिश की
महकती बूंदों में
घुल कर शक्कर हो जाते है
बस गीत हो
बारिश हो
और हो प्रियतम
Full poetry in caption-
ख़ाली हथेलियां।
वो रोज़
अपना सिर झुकाए
अपनी हथेलियों को
देखता है
देखता है
अपनी हथेलियों की
सतह को
इस पार से
उस पार दूर
उंगलियों के पोरों तक
फिर देखता है
दाएं से बाएं तक
Full poetry in caption-
जी लो जिंदगी ।
जीवन की गहराई में
जितना जाओ
या झांको
कुछ हासिल नहीं होता
कितने ही शब्द
क्यों न ले आओ
और झोंक भी दो
सारे के सारे संग
तो भी तो
हर एक की कहानी का
अंत नहीं होता
-
फुटबॉल से तुम ।
मुझे
जलन होती है तुमसे
कितनी आसान है
तुम्हारी जिंदगी
बिलकुल
किसी मैदान में पड़ी
फुटबॉल की तरह
कुछ भी
करना नहीं पड़ता तुमको
सब मुझे करना पड़ता है
Full poetry in caption-