Sarika Singh  
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Joined 3 September 2019


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8 NOV 2021 AT 21:18

ख्वाहिशों के समंदर में जिम्मेदारियों की लहरें हैं।
यूं तो एक सास में सुमद्र पार कर लू मैं।
पर कंधों पे अभी जरा बोझ ठहरे है।।

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8 NOV 2021 AT 20:52

किसने कहा हार सिर्फ जंग ऐ मैदान में होती है
एक बाजी दिल से तो खेल के देखो यारों।।

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11 MAR 2021 AT 15:51

एक खामोशी सी थी तेरे मेरे बीच में
बातें तो बस ये दो आंखें कर रही थी
लब तो सिल रखे थे दोनो ने
साजिश तो बस ये सांसे कर रही थी।

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11 MAR 2021 AT 15:43

रोग इश्क का हैं
इसलिए बुखार अभी तक उतरा नहीं
मरहम जो गर तुम बन जाते तो
दावा की जरूरत किसे पड़ती।।

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11 MAR 2021 AT 15:27

हम जो बिखरे कभी तो तुम समेट लेना..
सहमे से इन सांसों को खुद में लपेट लेना...

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11 MAR 2021 AT 14:11

कितना शातिर हैं न खुदा
झूठ बोलने के लिए ज़बान देता हैं।
और सच पढ़ने के लिए आंखे।।

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11 MAR 2021 AT 14:05

ये तो कुदरत की साज़िश है सारी
वरना जो कल तक हमारी पसंद थे।
आज हम उनकी तलाश बन गए है।।

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29 DEC 2020 AT 23:42

बेहद बेशकीमती है ये बारिशें
लगता है दूर कोई रोया है
आज मेरी याद में।

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29 DEC 2020 AT 22:57

गुनाह ये नहीं कि इश्क़ कर बैठे हैं।
कूसूरवार तो तब हो गए जब जात
बंजर- ए- जमीन की थी और
बारिशों से दिल लगा बैठें।।

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28 DEC 2020 AT 23:43

रोज़ मुलाक़ात करनी है उनसे

रोज़ मुलाक़ात करनी है उनसे
कुछ बात तो
कुछ शिकायते
भी तो करनी है उनसे।।

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