हर ग्रह पर दुआओं की सहर है,
तेरे संग हर लम्हा मेरे लिए एक मेहर है।
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जब भी लिखने बैठी,
शब्द नहीं, एहसास उमड़ आए।
कलम ने कागज़ नहीं,
मेरे मन की सतह छू ली।
हर पंक्ति में कोई अधूरी पुकार थी,
हर विराम में कोई दबी तकरार थी।
लिखते-लिखते जाना,
मैं सिर्फ़ कविता नहीं,
ख़ुद को रच रही थी।
स्याही में घुला था मेरा दर्द,
और अक्षरों में थी मेरी शांति।
जब भी लिखने बैठी,
मैं जीवन से संवाद करती रही।-
मेरी जेब में रखे हैं कुछ सपने,
थोड़ी सी धूल, कुछ अधूरे अपने।
एक सिक्का है पुराने समय का,
जो हर गिरावट में हौसला देता है।
एक पर्ची है—लिखा था उस पर “मत रुकना”,
वो अब तक मेरा तावीज़ बना है।
जेब में समेटे हैं उम्र के टुकड़े,
हँसी के, आँसू के, और सीख के झोंके।
कभी खाली लगती है,
कभी खज़ाना बन जाती है—
यह छोटी सी ज़ेबाई,
मेरे पूरे जीवन का सार समाती है।
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जब दिल टूटा, तब समझ आया,
साथ देना हर किसी के बस की बात नहीं।
कंधे बहुत दिखे, पर सहारा कोई न था,
तब जाना — काम आता है कौन,
ये वक्त ही बताता है।
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थक कर जो बैठा है राह में कहीं,
उसे कहो — सफ़र अभी बाक़ी है।
जो गिरा है, वो मिट्टी नहीं बना,
वो बीज है — अंकुरण की घड़ी बाक़ी है।
तर्ग़ीब यही है, हार को शक्ल मत दो,
हर ज़ख्म में एक कहानी रोशन रखो।
जो दर्द आज है, वही रौशनी बनेगा,
बस अपने हौसलों की लौ को गुल मत करो।
तर्ग़ीब ये भी है — ख़ुद से मिलो कभी,
जहाँ आवाज़ें ख़ामोश हैं, वहाँ सुनो कभी।
तुम्हारे अंदर जो बुझा नहीं,
वही तो तर्ज़-ए-जींदगी है, वही असल रोशनी।
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धूप महकी हुई है आज,
जैसे उसमें किसी स्मृति की खुशबू घुल गई हो।
हवा भी कुछ कहती सी चल रही है,
जैसे किसी पुराने गीत की धुन को दोहरा रही हो।
आँगन में चमक तो रोज़ उतरती है,
पर आज उजाला कुछ अपना सा लगा,
शायद मन के किसी कोने में
आशा का एक फूल फिर से खिला।
धूप महकी हुई है —
जैसे भीतर का अंधकार
धीरे-धीरे सुगंध में बदल रहा हो,
और जीवन फिर से
किसी नयी शुरुआत की ओर बढ़ रहा हो।
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हर ख़ुशी के बाद भी कुछ अधूरा रहता है,
जैसे रेत में पानी, हाथों से फिसलता है।
तिश्नगी है — हर सुख के पीछे छिपी प्यास,
जो जीने का सबब भी है, और सज़ा भी खास।
दिल भरता नहीं, चाहतें बढ़ती जाती हैं,
हर हासिल के बाद नई कमी जग जाती है।
शायद यही तिश्नगी ज़िन्दगी की रूह है —
जो बुझी तो समझो, ज़िन्दगी भी चुप है।
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शायरी की दुनिया कुछ यूँ निराली है,
यहाँ दर्द भी लफ़्ज़ों में ढलकर सवाली है।
जहाँ खामोशियाँ भी बोल उठती हैं,
और टूटा दिल ही सबसे बड़ी कहानी है।
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दर्द वो नहीं जो दिखता है,
वो है जो मुस्कान के पीछे छिपा रहता है।
शब्दों से नहीं झरता,
बस नज़रों में ठहर जाता है,
और रातों में ख़ामोशी बनकर रोता है।
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