sarika keshri   ("सारिका"🖋️)
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Joined 25 November 2019


Joined 25 November 2019
5 FEB 2022 AT 23:14



इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए,
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,

और कह दो अपनी यादों से,
एक दिन की छुट्टी दे हमें,
इश्क के हिस्से में भी तो
इतबार होना चाहिए,,🤗🤗💕💕— % &

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5 FEB 2022 AT 23:04

शिकायतें बहुत थी जिंदगी से,
हर खुशी से फासला था हमारा।
दिल में एक कसक सी थी।
आप आए हमारी जिंदगी में एक बहार बनकर।
सारे शिकवे भी मिट गए,
शिकायतें भी दूर हो गई जिंदगी से
अब तो सारी शिकायतें हैं सिर्फ आपसे।🤗— % &

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5 FEB 2022 AT 14:54

हर धड़कन में आप छिपे हैं, मेरी जिंदगी की तरह।
और कहते हैं आप, आप जी लेंगी हमारे बिना।।
खुद को तो हम मना भी ले, पर ये दिल नहीं मानता
जो आपके बिन, है कोई जवाब तो दीजिए।
वरना आपकी चुप्पी को हम समझे, रह नहीं सकते
आप भी हमारे बिन।।— % &

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4 MAR 2020 AT 10:06

हसीं के पीछे का गम कोई क्या जाने,
हर मुस्कुराता हुआ चेहरा
अंदर से खुश नहीं होता !
कई गमों को वो अपने
अंदर छिपाए रहता है !

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5 APR 2021 AT 20:35

ये किस तरह कर रहे हैं हम तुमसे,
जब तेरे हो हो नहीं सकते फिर भी
तेरे ही होते जा रहे हैं हम।तुझमें यूं,
गुम हो गई हूं मैं जैसे अंधेरे में परछाइयां
तू इस कदर मेरे दिलों दिमाग पे छाया है,
जहां भी देखूं अब तू ही तू नजर आया है।।

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21 MAY 2020 AT 22:49

कमाल की लेखनी है आपकी
आपकी इस लेखनी को ही देख मैं खो जाती हूं,
एक बार पढ़ मन नहीं भरता बार बार मैं पढ़ जाती हूं !

दुनिया की यथार्थता को एक छोटा सरल सा रूप देते हो
सच्चाई को चंद सरल शब्दों में बयां करते हो,
इसी लेखनी पर तो मैं फिदा हो जाती हूं !

कभी कभी सोच में मैं खो जाती हूं जिसकी लेखनी
ही इतनी कमाल है वो क्या कमाल होगा,
ख्वाबों में ही तेरी तस्वीर बनाती हूं !

तुझे बिन देखे तेरी ख्वाबों में खो जाती हूं,
ज्यादा कुछ नहीं बस एक छोटा सा उपहार
स्वरूप testimonial पेश करती हूं !

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30 APR 2020 AT 22:24

अभी लगता है,जैसे कल की हीं बात थी।
जब मै पीहर से ससुराल अा गई,
यहां लगता है जैसे एक एक पल घंटो में
बीत रहे हो, और मायके में तो जैसे समय
के पर लग जाते हैं, वक़्त यूं बीत जाते हैं,
क्यू बेटियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती है,
और दो हिस्सों में बट जाती हैं होती तो वो
दोनों घरों की है,पर अपना कौन सा........

वहां लोग कहते इसे पराए घर जाना है,
और ससुराल में ये पराए घर से अाई है।
बीत गए समय काफी पर लगता है जैसे
अभी कल की ही बात है।

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25 APR 2020 AT 23:59

अजीब सी मेरी जिंदगी की कहानी भी निकली,
जब वक्त अच्छा था तो हर तरफ से लोग कहते थे,
मै तेरे साथ हूं, पर आज सच में किसी
सहारे की जरूरत है तो मैंने खुद को
बहुत अकेला पाया
ये कहावत सच हो गई,,,,,
सुख के ही सभी साथी होते हैं
पर दुख में कोई नहीं,
दुख में आप खुद को अकेला ही पाओगे
इसलिए भरोसा खुद सिर्फ खुद पे करे
किसी और पे नहीं ।

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20 APR 2020 AT 17:07

अजीब हालात हो गए हैं,,,
आज मोहल्ले और गलियां यूं सुनसान पड़े है,
लगता है एक अर्सो मिले हो गए हैं अपनों से,
अक्सर लोगों को शिकायत रहती है मिलने की
आज सारे रिश्ते फुर्सत में भी हैं,
पर फिर भी मिल नहीं सकते
कोई भी किसी से !

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6 APR 2020 AT 13:38

अजीब सा दस्तूर है इस पुरुष प्रधान समाज की,,,
लोग बातें तो बहुत बड़ी बड़ी करते हैं,
पर क्या 'सच में' लोग बदल गए हैं,
या बदलने का दिखावा कर रहे हैं लोग,
चेहरे पे नए चेहरे लगाए फिर रहे हैं !

लोग ऊपर से कुछ और अंदर कुछ होते हैं,
गलतियां किसी की भी हो पर लोग ।
दोष पहले नारी को ही देते हैं।

हा मै मानती हूं कुछ गलतियां उनकी भी होती हैं,
पर हर कदम पर दोष देना सिर्फ उन्हें गलत है।
बिना तथ्य जाने किसी के बारे में लोग कैसे
अनुमान लगा लेते हैं ।

सारिका-🖋️

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