इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए,
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,
और कह दो अपनी यादों से,
एक दिन की छुट्टी दे हमें,
इश्क के हिस्से में भी तो
इतबार होना चाहिए,,🤗🤗💕💕— % &-
शिकायतें बहुत थी जिंदगी से,
हर खुशी से फासला था हमारा।
दिल में एक कसक सी थी।
आप आए हमारी जिंदगी में एक बहार बनकर।
सारे शिकवे भी मिट गए,
शिकायतें भी दूर हो गई जिंदगी से
अब तो सारी शिकायतें हैं सिर्फ आपसे।🤗— % &-
हर धड़कन में आप छिपे हैं, मेरी जिंदगी की तरह।
और कहते हैं आप, आप जी लेंगी हमारे बिना।।
खुद को तो हम मना भी ले, पर ये दिल नहीं मानता
जो आपके बिन, है कोई जवाब तो दीजिए।
वरना आपकी चुप्पी को हम समझे, रह नहीं सकते
आप भी हमारे बिन।।— % &-
हसीं के पीछे का गम कोई क्या जाने,
हर मुस्कुराता हुआ चेहरा
अंदर से खुश नहीं होता !
कई गमों को वो अपने
अंदर छिपाए रहता है !-
ये किस तरह कर रहे हैं हम तुमसे,
जब तेरे हो हो नहीं सकते फिर भी
तेरे ही होते जा रहे हैं हम।तुझमें यूं,
गुम हो गई हूं मैं जैसे अंधेरे में परछाइयां
तू इस कदर मेरे दिलों दिमाग पे छाया है,
जहां भी देखूं अब तू ही तू नजर आया है।।-
कमाल की लेखनी है आपकी
आपकी इस लेखनी को ही देख मैं खो जाती हूं,
एक बार पढ़ मन नहीं भरता बार बार मैं पढ़ जाती हूं !
दुनिया की यथार्थता को एक छोटा सरल सा रूप देते हो
सच्चाई को चंद सरल शब्दों में बयां करते हो,
इसी लेखनी पर तो मैं फिदा हो जाती हूं !
कभी कभी सोच में मैं खो जाती हूं जिसकी लेखनी
ही इतनी कमाल है वो क्या कमाल होगा,
ख्वाबों में ही तेरी तस्वीर बनाती हूं !
तुझे बिन देखे तेरी ख्वाबों में खो जाती हूं,
ज्यादा कुछ नहीं बस एक छोटा सा उपहार
स्वरूप testimonial पेश करती हूं !-
अभी लगता है,जैसे कल की हीं बात थी।
जब मै पीहर से ससुराल अा गई,
यहां लगता है जैसे एक एक पल घंटो में
बीत रहे हो, और मायके में तो जैसे समय
के पर लग जाते हैं, वक़्त यूं बीत जाते हैं,
क्यू बेटियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती है,
और दो हिस्सों में बट जाती हैं होती तो वो
दोनों घरों की है,पर अपना कौन सा........
वहां लोग कहते इसे पराए घर जाना है,
और ससुराल में ये पराए घर से अाई है।
बीत गए समय काफी पर लगता है जैसे
अभी कल की ही बात है।-
अजीब सी मेरी जिंदगी की कहानी भी निकली,
जब वक्त अच्छा था तो हर तरफ से लोग कहते थे,
मै तेरे साथ हूं, पर आज सच में किसी
सहारे की जरूरत है तो मैंने खुद को
बहुत अकेला पाया
ये कहावत सच हो गई,,,,,
सुख के ही सभी साथी होते हैं
पर दुख में कोई नहीं,
दुख में आप खुद को अकेला ही पाओगे
इसलिए भरोसा खुद सिर्फ खुद पे करे
किसी और पे नहीं ।-
अजीब हालात हो गए हैं,,,
आज मोहल्ले और गलियां यूं सुनसान पड़े है,
लगता है एक अर्सो मिले हो गए हैं अपनों से,
अक्सर लोगों को शिकायत रहती है मिलने की
आज सारे रिश्ते फुर्सत में भी हैं,
पर फिर भी मिल नहीं सकते
कोई भी किसी से !-
अजीब सा दस्तूर है इस पुरुष प्रधान समाज की,,,
लोग बातें तो बहुत बड़ी बड़ी करते हैं,
पर क्या 'सच में' लोग बदल गए हैं,
या बदलने का दिखावा कर रहे हैं लोग,
चेहरे पे नए चेहरे लगाए फिर रहे हैं !
लोग ऊपर से कुछ और अंदर कुछ होते हैं,
गलतियां किसी की भी हो पर लोग ।
दोष पहले नारी को ही देते हैं।
हा मै मानती हूं कुछ गलतियां उनकी भी होती हैं,
पर हर कदम पर दोष देना सिर्फ उन्हें गलत है।
बिना तथ्य जाने किसी के बारे में लोग कैसे
अनुमान लगा लेते हैं ।
सारिका-🖋️
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