तुमको लिखना इतना मुश्किल न था कभी
पर ना जाने क्यूँ अब लिखे नहीं जाते हो
भाव बढ़ गये हैं तुम्हारे एहसासों के... या
अब चाहते ही नहीं हो के तुम्हें उतारा जाये पन्नों पर
कुछ तो मसला है, कोई तो वजह है जो
शब्द मेरे रूठे से रहने लगे हैं तुमसे
ना जाने क्या तोड़ा है मैंने, या नज़रअंदाज़ किया है
जो सामने हो कर भी मुझको वजह दिखती नहीं
ना लिखने की 💔
तुम कहते हो आ जायेगा लिखना,
हम कहते हैं मुमकिन ही नही अब..
❤️
ना जाने मेरे शब्दों की मणि कौन ले गया,
जो रौशनी होते हुए भी मुझे दिखता नहीं अब....
सुनो ❤️ लौटा दो न
वो मेरे खनकते शब्दों की आवाज़
जो अरसों से बेजुबां पड़े हैं।।
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