Saras Kushwaha   (सरस "शिवानुजा"♥️...✍️)
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Joined 1 May 2018


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6 FEB 2022 AT 14:32

हमेशा जिन्दा रहती हैं दिलों में...

भारत रत्न ,स्वर कोकिला ,स्वर साम्राज्ञी
लता दीदी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि...

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1 JAN 2022 AT 21:34

जीने के सारे विकल्प ख़तम होने के बाद भी,
दुनियां वाले चाहते हैं जीवित देखना...
दिल में दर्द और चेहरे पर मुस्कान देखना..
टूटते सपने, चीखें, आंसू,वक़्त की बेबसी,
रहे सिर्फ भीतर दरवाजे के...
कहना है सब से कि,
हर आत्महत्या को कायरता का नाम ना दो,
संघर्ष तो है वो भी ,
जितना जीने के लिए चाहिए साहस,
हिम्मत उतनी ही मरने के लिए...
जब मर गया हो मन ,
लास हुए तन से उम्मीद क्या रखोगे???
नहीं अपनाते अपने और दुनियां भी जिसे
उसे ईश्वर जरुर अपनाता होगा...
जिसका है नहीं कोई दुनियां में,
हक है मेरा भी अपने आराध्य के पास,
स्वेच्छा से जाने का...!(ssk)

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27 DEC 2021 AT 14:05

मौके बिखरने के तेरे पास अनेक आयेंगे,
चेहरे की हंसी को छीनने हाथ तमाम लाएंगे..!

पर तू संघर्ष को ही सर्वोपरि रखना,
ये अनुभव जीवन में कहां बार बार आयेंगे..!

एक जीवन ,एक मृत्यू उसमें भी डरना क्या,
जब है प्रण लिया तो वापस अब मुड़ना क्या..!

सूदेश्य में बाधाओं के संकट अपार आयेंगे...
जीने की आशा हो विफल, शत्रु तुझे डराएंगे.!

पर तुम ईश्वर के सच्चे पुत्र हो ऎसे ही ना विचलित होगे,
हर कांटे को समझ के फूल आगे बढ़ते रहोगे.!

अपनी हर विजय से कर के उन्हें हतप्रभ,
सच्चाई का मान रखोगे....(ssk)

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15 JUL 2021 AT 9:23

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25 FEB 2021 AT 0:07

जिनसे पूछा जाता है कि
जीवन में क्या किया है तुम ने उपलब्धियों में..?
तो कुछ लोगों का जवाब होता है
कि उन्होंने बचाया है जीवन स्वयं का,
किसी अवसाद से,
किसी मौत की खाई से
किसी के झूठे अपनत्व के बहकावे से
किसी की झूठी मोहब्बत से
किसी के दिए असहनीय दर्द से...
और जीवन को बचाने से बड़ी
उपलब्धि कोई नहीं है,
बहुत कठिन होता है वो समय,
जब कोई मौत ना स्वीकार कर के
सिर्फ़ जीना चाहता है
जीवन की शुरुआत फिर से करता है...
आंखों को मेरी उस वक्त
यही उपलब्धि नजर आती है
जब किसी ने जीने का फिर से निश्चय किया हो..
और ये आंखे एक विखरे हुए इंसान को
दुबारा से जीवित देख पाती है..
अर्थात् स्वयं के जीवन को बचाना भी,
किसी महान उपलब्धि से कम नहीं..✍️

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24 FEB 2021 AT 9:28

जब कूद ही चुके हो मैदान- ए- जंग में तो,✍️📚
निराशा नहीं ,जीत का जश्न लेकर ही घर वापस लौटना।

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10 JUL 2020 AT 11:24

"मानव की भांति"

उठो और खुद में एक नई ऊर्जा का संचार करो,
मानव हो मानव की भांति कार्य करो।

यू बैठोगे भाग्य के भरोसे तो कुछ नहीं कर पाओगे,
समय निकलता जाएगा और हाथ मलते रह जाओगे।

भाग्य में वही मिलता है जो मेहनत से हासिल होता है,
कठोर श्रम के आगे तो भाग्य भी विफल होता है।

अपने हाथ की खाली रेखाओं को एक बार निहार लो,
तुम्हें खुद भरना है रंग स्वयं के जीवन में ये जान लो।

विधाता भी उन्हीं की सहायता करता है जो खुद लड़ते हैं ,
रास्ते मिलते नहीं आसानी से स्वयं ढूंढने पड़ते हैं।

अपने आलस्य का तुम अब परित्याग करो,
समय है बहुत ही बहुमूल्य उसके साथ ही तुम प्रस्थान करो।

ये मार्ग सफलता का कठिन है आसान नहीं,
हो मन में दृढ़ संकल्प की शक्ति तो कुछ भी दुनिया में असंभव नहीं।

अपने जीवन को स्वयं ही प्रकाशवान करो,
लड़ कर सब वधाओं से तुम सफलता का आव्हान करो।
मानव हो मानव की भांति कार्य करो..(सरस.k)✍️

-- सरस "शिवानुजा"♥️..✍️

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7 MAY 2020 AT 14:45

यूं व्यर्थ की उलझनों में ,
मन को ना अशांत करो,
रखो धीरज और खुद पर काम करो..
इस बहुमूल्य जीवन को,
निराशा और कटुता के गर्त से बचाए रखो,
और सब के साथ प्यार भरा व्यवहार रखो...

रखता है भगवान भी अपने बंदों को खुश,
फिर तुम भी उस के दिए हुए जीवन को,
यूं ना व्यर्थ में बर्बाद करो,
स्पर्श ना कर सके कोई बुराई तुम्हे,
जितना हो सके खुद पर काम करो...

कहीं भटके ना ये मन मोह माया के जाल में,
और तुम रह ना जाओ किसी तमस भरी राह में,
इसलिए रख के मन को प्रसन्न ,
दुख और सुख को एक समान आंक लो,
जितना हो सके खुद पर काम करो...

रखो खुद को अडिग मानवता के कर्तव्य पथ पर ,
लड़ कर हर विध्न वधाओ से,
अपने व्यक्तित्व को निखार लो,
स्वयं में है जो निहित अपनी,
शक्तियों को जान लो खुद पर काम करो...
और एक अच्छे इंसान बनो...
(Saras.k27jl)
Saraswatighyaan sagar

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6 JAN 2022 AT 14:38

चांदनी रात में जब वो बैठे थे करीब,
दो दिलों के इस जश्न में जल रहे थे रकीब!

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2 JAN 2022 AT 19:08

बड़े भाई बहन का स्नेह और
उनकी अमूल्य भावनाओ का
गर होता कोई बाजार तो
पैसों के घमंड में चूर
लोग उनका भी मूल्य चुका देते...

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