हमेशा जिन्दा रहती हैं दिलों में...
भारत रत्न ,स्वर कोकिला ,स्वर साम्राज्ञी
लता दीदी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि...
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दिल में नेकी और लबों पर मुस्कान रखते हैं
नहीं लगता डर हमें रास्ते ... read more
जीने के सारे विकल्प ख़तम होने के बाद भी,
दुनियां वाले चाहते हैं जीवित देखना...
दिल में दर्द और चेहरे पर मुस्कान देखना..
टूटते सपने, चीखें, आंसू,वक़्त की बेबसी,
रहे सिर्फ भीतर दरवाजे के...
कहना है सब से कि,
हर आत्महत्या को कायरता का नाम ना दो,
संघर्ष तो है वो भी ,
जितना जीने के लिए चाहिए साहस,
हिम्मत उतनी ही मरने के लिए...
जब मर गया हो मन ,
लास हुए तन से उम्मीद क्या रखोगे???
नहीं अपनाते अपने और दुनियां भी जिसे
उसे ईश्वर जरुर अपनाता होगा...
जिसका है नहीं कोई दुनियां में,
हक है मेरा भी अपने आराध्य के पास,
स्वेच्छा से जाने का...!(ssk)-
मौके बिखरने के तेरे पास अनेक आयेंगे,
चेहरे की हंसी को छीनने हाथ तमाम लाएंगे..!
पर तू संघर्ष को ही सर्वोपरि रखना,
ये अनुभव जीवन में कहां बार बार आयेंगे..!
एक जीवन ,एक मृत्यू उसमें भी डरना क्या,
जब है प्रण लिया तो वापस अब मुड़ना क्या..!
सूदेश्य में बाधाओं के संकट अपार आयेंगे...
जीने की आशा हो विफल, शत्रु तुझे डराएंगे.!
पर तुम ईश्वर के सच्चे पुत्र हो ऎसे ही ना विचलित होगे,
हर कांटे को समझ के फूल आगे बढ़ते रहोगे.!
अपनी हर विजय से कर के उन्हें हतप्रभ,
सच्चाई का मान रखोगे....(ssk)-
जब कूद ही चुके हो मैदान- ए- जंग में तो,✍️📚
निराशा नहीं ,जीत का जश्न लेकर ही घर वापस लौटना।-
यूं व्यर्थ की उलझनों में ,
मन को ना अशांत करो,
रखो धीरज और खुद पर काम करो..
इस बहुमूल्य जीवन को,
निराशा और कटुता के गर्त से बचाए रखो,
और सब के साथ प्यार भरा व्यवहार रखो...
रखता है भगवान भी अपने बंदों को खुश,
फिर तुम भी उस के दिए हुए जीवन को,
यूं ना व्यर्थ में बर्बाद करो,
स्पर्श ना कर सके कोई बुराई तुम्हे,
जितना हो सके खुद पर काम करो...
कहीं भटके ना ये मन मोह माया के जाल में,
और तुम रह ना जाओ किसी तमस भरी राह में,
इसलिए रख के मन को प्रसन्न ,
दुख और सुख को एक समान आंक लो,
जितना हो सके खुद पर काम करो...
रखो खुद को अडिग मानवता के कर्तव्य पथ पर ,
लड़ कर हर विध्न वधाओ से,
अपने व्यक्तित्व को निखार लो,
स्वयं में है जो निहित अपनी,
शक्तियों को जान लो खुद पर काम करो...
और एक अच्छे इंसान बनो...
(Saras.k27jl)
Saraswatighyaan sagar
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चांदनी रात में जब वो बैठे थे करीब,
दो दिलों के इस जश्न में जल रहे थे रकीब!-
बड़े भाई बहन का स्नेह और
उनकी अमूल्य भावनाओ का
गर होता कोई बाजार तो
पैसों के घमंड में चूर
लोग उनका भी मूल्य चुका देते...-
जब भी आओ
तो उम्र में मुझ से
छोटे बनकर आना भाई,
जानते हो ना
घर के छोटे
बड़ों का दिल
कितना दुखाते हैं
और बड़े हमेशा उनकी,
हिफाजत करते हैं...
छोटे हमेशा उनकी
सुरक्षा घेरे में होते हैं!
Missing u bhai-
जब भी नाम शिवपुरी का आता होगा,
तुझे घर याद बहुत आता होगा...!
जब कभी देखती होंगी आंखें कई महकते फूलों को,
घर के गार्डन का मुस्कुराता गुलाब याद आता होगा!
बड़े शहर की बड़ी बड़ी इमारतों ने मन तो मोहा होगा,
पर छूटा घर का आंगन याद बहुत आता होगा!
नए शहर में नए लोगों से नया दोस्ताना अच्छा लगता होगा,
पर जब मिलता होगा कोई तेरे शरह का वो अनजान भी अपना लगता होगा!
दूर रहकर अपनो से जी कहां लगता होगा,
ऑफिस से लंबी छुट्टियों का इंतज़ार तुझे भी होता होगा।
जब भी नाम शिवपुरी का आता होगा,
तुझे घर याद बहुत आता होगा...!
-- सरस "शिवानुजा"❤️...✍🏻-
कोशिश रहे की आज कल
जो मन के भीतर रावण
जगह लेता जा रहा है और
अपने नए नए स्वरूप बनाते जा रहा है...
हम दहन उसी का करें ,
ये पुतले तो रावण के जलते रहेगें
और असली रावण बचता रहेगा..
जय जय श्री राम....-