Saransh Choudhary  
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Part-time word portrayer
Joined 24 October 2017


Part-time word portrayer
Joined 24 October 2017
19 JAN 2022 AT 0:24


इल्म नहीं हमें सबाह या शाम की अब,
तुम्हारे ख्यालों ने हमें इनकी शबाहत में क़ैद कर रखा है ।

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26 OCT 2021 AT 5:36






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21 OCT 2021 AT 2:05


जायज़ा-ए-कैफ़ियत लेने आना तुम रातों को,
दिन के उजाले में रैन के सितारे ख़ास शफ्फ़ाफ़ नहीं होते।

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28 AUG 2021 AT 21:59

वो भी एक दौर था
जब हम भी रातों से
नफ़रत किया करते थे

तन्हाई भी जब अपने
अकेलेपन को मिटाने
हमसे गुफ़्तगू किया करती थी

पर अब मरहूम हैं वो पल
क्योंकि अब तुम्हारी यादों में भी
हम खुद को महफूज़ पाया करते हैं ।

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26 JUL 2021 AT 13:23


गुफ़्तगू अल्फाजों में नहीं,
एहसासों के बीच होती है ।

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26 JUL 2021 AT 2:06

एक अरसा हो गया है उस राह से गुज़रे,
वरना शामें तो वहीं हसीन हुआ करती थी ।


जब झरोखे से तुम्हारी झुकती नज़रें
सड़क पर मेरी उठती निगाह से मिला करती थी ।



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29 MAY 2021 AT 11:10

Bbbvzhzhshsb
Bdjdddjssjs

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28 MAY 2021 AT 10:38

When all of hope has dried up,
And all of faith evaporated
Will step an unknown








With flood so huge
While the fire rages inside
The water cleanses, from out and within

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23 MAY 2021 AT 10:53

ज़र्रा-ज़र्रा यही कहे, जीवन की या सौगात
पग-पग पर मिलता ज़हर, रख ज़हरा अपने साथ ।

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18 MAY 2021 AT 20:39


"YourQuote Baba liked your quote" seemed hypothetical only until about an hour ago.

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