Sara   (Brinda)
3 Followers · 6 Following

वो जो मेरे साथ है,
क्या वो मेरे पास नहीं रह सकता?
Joined 13 March 2021


वो जो मेरे साथ है,
क्या वो मेरे पास नहीं रह सकता?
Joined 13 March 2021
15 JUL 2021 AT 9:06

एक शहसवार हूँ,
सपनों का विमान हूँ,
समुद्र में उफ़ान हूँ,
आशा का विहान हूँ,
पर्वतों में ज्वाल हूँ,
बुलंदियों में आज हूँ,
अपनों की मै ढाल हूँ,
मेरी मिट्टी का मै मान हूँ,
एक शहसवार हूँ।

-


15 JUL 2021 AT 8:59

कितनी ही जगह ख़ाली है आज भी मुझमें
जिसे देखे कोई और,ये मुझे ग़वारा नहीं।

वो निश्चित ही है सिर्फ़ उस एक के लिए
हर किसी को फ़िराया जाए वहाँ, है कोई स्मारक थोड़ी।

रख़ा है हर उस लम्हें को संभाल मैंने,
जिसे बिताऊंगा मै उस एक के साथ सिर्फ़।

हर किसी के साथ दिल्लग़ी की-सी करके, हीर बनाना थोड़ी है,
लिखूँगा तो उसी पे मै, हाँ! वही जो अब तक सिर्फ ख्यालों में है।

जो हर फ़ूल को छू कर गुज़रे, तो क्या गुज़रे जनाब,
प़ाक रहकर हद तक पहुंचे, हर कलंदर में वो बात नहीं है।

उस तक पहुंच कर रहे अनाड़ी भी तो कोई ग़म नहीं,
ख़ुशी होगी, कम-से-कम किसी से ठगी तो न की।

हाँ! द़गा ही न हुई गर, लम्हें मै जो उसके के नाम कर गया,
फ़िर, उन्हें ओरों के साथ जी लूं, कैसे मै ओरों के साथ जी लूं।

मयखानों में महज़ महफ़िल जमाता हूँ, लत तो है हर्फ़ो की,
जाम में इतना नशा नहीं ना है, जो जुनून को डूबा सके।

-


15 JUL 2021 AT 8:50

A Pen

I cried before the society
To get me a pen,
My Dad was scoffed
When he bought me that,
I tried for a long
To learn that pen,
My Dad erected me
When I was bowed,
They snatched the Papers,
To don't get me chance
My Dad gave me a Book instead
When I was all grown,
They broke my Pen
To don't let me write,
My Dad was there
Who hold my hand & made me write

-


14 JUL 2021 AT 14:11

मेरे मन ने आज,

चाहा खुद से बतियाना
हम आज बैठेंगे दो यार
लेके चाय का साथ
उसी के नशे में बहक
खोलेंगे दिल का हर द्वार
कुछ कहेंगे अपनी
कुछ मन की भी सुन लेंगे
करेंगे वादा एक-दूजे से
कदम-ताल मिलने का
मगर, मैं जानता हूँ
चलाएगा तो 'मन' अपनी ही।

-


14 JUL 2021 AT 14:02

Love is a thread
Binds us
Together
In a trinket,
We are
Like beads
Should be
Thankful to
LOVE

-


14 JUL 2021 AT 13:50

कुछ मोड़ थे ऐसे भी
जहाँ चाह कर भी न जा सके,
कुछ लोग थे ऐसे भी
जिन्हें देख कर हम भूल न सके
कुछ बरखा की बूंदें थीं
जो पहुंच न सकी मंज़िल तक
कुछ ख्वाब थे ऐसे भी
जो बिना साथ के मुक्कमल न हुए
कुछ कश्तियां थी ऐसी भी जो
किनारे से न लग पायीं
कुछ यादें हैं ऐसी भी
जो चाह कर भी भूलाई न गयीं।

-


14 JUL 2021 AT 13:42

ये जो दाग सुर्ख से
आँचल पर पड़े थे,
किसी ढेर में बेजान से
अरमान भी तो पड़े थे,
वे दिखते हूबहू इंसान से,
पर इंसान तो न थे,
वासना की कमान रखे
हैवान ही तो खड़े थे।

-


14 JUL 2021 AT 13:35

ऐसी कोई किताब नहीं

जो दिल के हालात बयाँ करे
जो मन में उठे तूफाँ को रोके
जिसके पन्नों पर चितचोर का नाम न हो
जिसमें कोइ गूलाब न हो।

-


14 JUL 2021 AT 13:33


NEWTON'S LAW OF ASHIQUI...


Every ASHIQU continues to do ASHIQUI until a "Thappad" or a "Chappal"  hits upon his face, by a lovely girl. With the Velocity of
9.8 m/s.

This force is known as  "Bezati" which is Directly Proportional to "Sharmindagi" but  "Bekhudi"  remains Constant.

-


14 JUL 2021 AT 13:29

Khuchh bhi Qayam nahi hai...Manzil bhi nhi,
Agar kuchh Qayam hai, To vo hai Safar!
Safar, jo humesha chalta rehta hai.

-


Fetching Sara Quotes