Sapna Sharma  
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My pen says it all...
Joined 21 January 2018


My pen says it all...
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22 JAN 2022 AT 17:17

Being busy is better than being too busy in being busy...

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22 JAN 2022 AT 17:07

चाँद की रौशनी में-
कुछ किस्से बुने,
कुछ लमहे चुने;
कुछ कलियाँ खिलीं,
कुछ खुशियाँ मिलीं;
कुछ ग़म पिघले,
कुछ रंज गले;
कुछ दिल की कही,
कुछ रही अनकही...

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11 AUG 2021 AT 14:49

हर दिन बीती घड़ी नई,
दोहराती है रात मगर
फिर बात वही पुरानी सी;

कहीं मुक्कमल, अधूरी कहीं-
लिखी कुछ यूँ है मानो
हर लफ्ज़ है एक कहानी सी;

ये जो इक चिट्ठी है ज़िंदगी,
कई बार पढ़ी तो है
फिर भी रही अनजानी सी...

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17 MAY 2021 AT 10:48

शब्दों में घुला मौन लिख जाता है
आहिस्ता से कानों में कहकर
भाव मेरे कुछ अकथित, अलक्षित-
मेरे हिय-सागर में उतरकर
कविता ये कौन लिख जाता है...

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17 MAY 2021 AT 4:52

क़तरा क़तरा पिघलता दिल
आँच तले उन यादों की,
कुछ अनकही, कुछ अनसुनी बातें-
तपिश में तनहा रातों की
पल-पल यूँ ही गलता दिल...

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22 APR 2021 AT 2:59

It's perfectly okay to be not understood by anyone, even you don't understand anyone completely.

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22 APR 2021 AT 2:54

काँटों के दरमियाँ भी खिलता है, महकता है, सँवरता है...

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26 MAR 2021 AT 1:13

अक्सर पिरोया करता है
रातों को
इक धागे में कविता के;
वो तदबीरें, वो ताबीरें
वो दिल की सारी तहरीरें-
कुछ यूँ बोया करता है
रातों को
इक बाड़े में कविता के...

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23 MAR 2021 AT 9:14

मंज़िलें आसाँ थी मगर मन आदतन भटकता रहा...

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9 MAR 2021 AT 2:16

यदि मनुष्य समझ लेते मुझेे तो यों देवी बनाकर पूजना न पड़ता।

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