तेरी बातों में
मेरे ज़िक्र हो ना हो..
मेंरे हर जज़्बात में
हर फ़िक्र में तू हैं..-
कहानियाँ..
गढ़ती रही झूठे किस्से..
मुझे बहलाने के
सारे जतन..करती रही..
नींद रूठकर किसी अँधेरे
कोने में छुप के बैठी रही..
चाँदनी लगाती रही मलहम
मेंरे दिल के छालों पे..
तेरे आने के वो झूठे दिलासे
छलते रहे मेंरे आँसूओ को..
यही सिलसिले चलते रहेंगे..
ना वो आएंगे..ना हम थकेंगे..-
स्त्री को किसी नें
देवी समझ पूजा
स्त्री को किसी नें
देह समझ भोगा
माँ बहन बेटी समझ
प्रेम किया..
बस किसी नें कुछ
नहीं समझा तो
इंसान नहीं समझा..
उसका दर्द नहीं जाना
आँखे नहीं पढी..
उसकी मर्जी नहीं पूछी...-
तूने कहा तो
दूर बहुत चले जायेंगे
दिल में तेरे किसी
फाँस की तरह
चुभे हैं...
जब भी दर्द होगा
याद बहुत आएंगे..-
ख्वाईशो की लाशें
कांधे पे लिए
सपनों को कुचलते
चले जा रहे हैं..
बेहद शर्मिंदा हैं हम..
की तेरे बिना जिए जा रहे हैं....!-
वो लम्हें चीखते रहे
पास आने के लिए..
हम भी कसम खाये
बैठे थे तुम्हें
भूल जाने के लिए...!-
उस अनजान सफर में
उदासियाँ बहुत थी..
बस कुछ खुशग्वार था..
तो वो तेरी यादें.. थी..-
कहानी सी लगती हैं
ये ज़िन्दगी कभी अपनी
तो कभी बेगानी सी लगती हैं..
कभी हसीन सफर
कभी दर्द का कहर..
जीने का हुनर सिखाती
कभी दानिशमंद
तो कभी दीवानी सी
लगती हैं...-
जाने क्यूँ मैं
तुम्हें देखती ही
जा रही हूँ
जबकि तुम
मेंरे नहीं
कोई हक़
भी नहीं
क्या..?
यही हैं
इश्क...!
उलझन यही हैं..
दिल बस में नहीं..-