Ṩαπĝεε†α Ȓαωα†   (संगीता राwat❤️)
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Joined 29 February 2020


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14 MAR 2022 AT 19:02

कितने ही रंग रंग नहीं पाते
मन की उन दीवारों को
जिन पर वो खिलना
मुस्कुराना चाहते हैं
बस उन्हीं के हो जाना चाहते हैं

कितनी ही खुशबुएँ हैं
जो अपनी महक पहुंचा नहीं पातीं
उस आँगन जहाँ सुकूं समेट
आजीवन वो बस जाना चाहते हैं

शब्दों से सजे कितने ही
नज्म हैं ऐसे जो छू न सके मन तुम्हारा

सच,ये नज्म हर शब्द
तुम्हारा हो जाना चाहते हैं

प्रार्थनाएं जो तुम तक
पहुंची ही नहीं नभ में चमकती रहती हैं

टूटेंगी किसी रोज,
किसी के ख्व़ाब सजाने को

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11 MAR 2022 AT 14:34

सामने परदे के होता कुछ और
और पीछे होता कुछ और हैं
बनकर रह जाते कठपुतली
जिसके पास निज़ाम
उसी के पास डोर है
बड़ी एहतियात से
भावनाओं पर खेल होता
ऐसे में कहा
दिल और दिमाग का मेल होता
ऐसी स्थिति में कहां चलता
ज्ञान का जोर है।
यही है पर्दे के पीछे का सच

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8 MAR 2022 AT 10:51

हां मैं एक औरत हूं
हे ईश्वर में तेरी कैसी अद्भुत रचना हूं
युग चाहे जो भी हो परीक्षा मैं ही देती हूं
पुरुषों की इस बस्ती में मैं बस एक वस्तु हूं
ना मेरी कोई इच्छा है ना मेरा कोई साथी है
मैं बस एक खिलौना हूं
इस घर से उस घर में
मैं आज भी बहुत पराई हूं
खामोशी से रहु मुस्कुरा दू तो कहते है कितना हस्ती है
रोका मुझको जाता है पूछा मुझसे जाता है
हर कोई सवाल मुझ पे उठता है
बुरी मैं ही कहलाती हूं
समाज में मैं ही झुकती हूं
हां मैं औरत हूं
हे ईश्वर मैं तेरी कैसी अद्भुत रचना हूं

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6 MAR 2022 AT 17:39

“मुझे ना पहले से ही खिड़की के पास बैठना बहुत पसंद है ।
जैसे बाहर की दुनिया से नाता भी है,और थोड़ी सी दूरी भी है ।
जैसे अपने हाथ में एक कंट्रोल है।
कि जब चाहे उसे बंद कर ली और अपने आप में समा गए ।
और जब चाहे खोल लिया,और ठंडी हवाओं का साथ ले लिया ।
बैलेंस बना रहता है ।
मुझे लगता है कि खिड़की ना एक ज़रिया बन जाती है ।
जब दरवाज़े बंद होने लगते हैं तब खिड़की ही साथ देती है।”

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3 MAR 2022 AT 19:57

अपने....👨‍👩‍👦‍👦
बहुत दूर इक टहनी पर लगे हुए...
एक छोटे से पत्ते को भी...
जब कोई खुशी या कोई गम होता हैं...
छोटा या बड़ा कोई उसका ज़ख्म होता हैं...
तो वो एहसास उस टहनी से होते हुए...
उनकी शाखा तक पहुँचता हैं...
और फिर दरख़्त के तने से ले कर...
उसकी जड़ो तक जा बिखरता हैं...

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2 MAR 2022 AT 20:42

तुमसे ही से
रौनक आंखों में
तुमसे ही
कोमलता बातों में
हर्ष,स्नेह
अनंत है
जीवन जैसे
मुस्कुराता बसंत है

तुम सँग
हर लम्हा हसीन
तुम सँग
ज़िन्दगी के हर रंग

मिसरी जैसे
धीमे धीमे
मुझमें घुलते जाते हो

तुम हो तो सच
ज़िन्दगी
मुस्कुराती है।।

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28 FEB 2022 AT 12:39


वक्त के रफ्तार में कब कुछ बदल गया
दफन सालों से जज़्बात जागे.. कैसे कह दें कि दिन ढ़ल गया

आपकी आँखों में उतनी ही गहराई है
डुब जाने की तमन्ना फिर.. कैसे कहें हाथों से सब फिसल गया

लफ्जों में कशिश आपकी अब भी..बेपरवाह हँसी जिंदा है
गुस्ताख़ दिल मेरा.. कैसे कहूँ धड़कनों में हसरतें बदल गया

फिर क्यों न हम नए सिरे से अपना एक अाशियां बनाए
घंटों लेकर हाथों में हाथ फिर से कोई नायाब गीत गुनगुनाए

सुनें हैं मैंने झूठे रस्मों-रिवाजों से बँधे.. घुटते रिश्तों के रुदन
हम सामाजिक बन्धनो से परे. एक नई लकीर खींच जाएं

अरे बाबा...किसने कहा अापसे कि अाईना सब सच दिखाता है,
गौर से देखिए, उसमें बायां दाहिना और दाहिना बायां नजर अाता है

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25 FEB 2022 AT 19:55

लो दुआ अब तुम्हारी कुबूल हो गई है
लो मान लिया हमने कि वो मेरी भूल थी
तुम कहते थे क्यों चले नहीं जाती
अब तुम नहीं हो मेरे क्यों बीच में हो आते
हाँ थी कभी मुहब्बत! अब गैर से हुई है
मैंं खुश हूँ उसके साथ अब वो मेरी जिंदगी है
तो बातें अब तुम्हारी बेफ़िज़ूल हो गई हैं
तो चलो मान लिया हमने भी वो भूल थी!!
भूली नहीं हूँ कुछ भी ना भूलने वाली हूँ
ना आज का अँधेरा ना कल का वो उजाला
हम दोनों की कहानी होती थी हर ज़ुबाँ पर
शिकवा नहीं है कोई शिकायत का सवाल नही है
जो किया तुमने उसका भी कोई मलाल नही है
मुहब्बत जो थी आँधियों मे उड़ती धूल हो गई है
लो मान लिया हमने की वो मेरी भूल थी
बस एक है गुज़रिश् तुम पूरी इसको करना
दिल से निकाल दूँगी तो फिर नही उतरना
पा लो अपना "प्यार" और अब जी लो अपनी दुनिया
ना आउँ लौटकर अब मैं मर भी जाऊँ क्यों न

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22 FEB 2022 AT 19:18

कैसा रिश्ता तेरा मेरा
तुम्हें सोचती हूँ तो बस सोचते ही जाती हूँ मैं...
आखिर क्या है तेरा मेरा रिश्ता....
ऐसा कोई दिन नहींं जो हम लड़ते ना हो
शायद मिलने से ज्यादा रोज लड़ते है हम...
कभी लगता है तुम आज तक मुझे समझ नहीं पाए
सिर्फ ज़िन्दगी के हर मोड़ पर साथ हमेशा देना
यही तो माँगा है मैंने
बस तुम्हारा ये कहना ''मैं हूँ ना''
काफी है मेरे लिये
और कभी लगता है शायद मैं ही
तुम्हें आज तक समझ नहीं पायी....
इतना लड़ने के बाद भी तुम साथ होते हो हमेशा
हर गिले शिकवे मिटाकर..
जानती हूँ आपके पास बहुत जिम्मेदारी है
बहुत अलग जिन्दगी है मुझसे
फ़िर भी सोचती हूँ मैं तेरे बाद की दुनिया...
आपके बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं मेरा...
क्योकि तुझे जीवन में एक अहम जगह दी है मैने...
इस रिश्ते का नाम मैं क्या दो मैं नही जानती...
शायद कुछ रिश्तो का कोई नाम नही होता...
और ये रिश्ते कुछ ना होकर भी बहुत कुछ होते है......

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21 FEB 2022 AT 19:16

स्त्रियॉं...

सहेज मन में
अपने आंसू और दर्द
सबकी खुशियां
अपनाती रहतीं हैं
ख़ामोशियों की
खाई में डूबी
फ़लक पर वो बस
मुस्कुराती रहतीं हैं।
दर्द, खामोशियो में लपेट
स्त्रियॉं, मुस्कुराती रहती हैं।।

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