उस से मिलना भी तो सीख सा ही है
लोगों का अंदाज़ा सटीक सा ही है
वो पहचान लेती थी कि ठीक नहीं है "सामर्थ्य"
उसके बाद तो सब कुछ ठीक सा ही है
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एक कहानी तुम्हें सुनानी थी,
वो कहानी भी हमारी थी।
तुझसे हर मुलाकात में अदब रखता हूं
तू मेरी नहीं फिर भी तुझपे ही नज़र रखता हूं
कौन कहता है मुझे मतलब नहीं दुनियादारी से
मैं अपने रकीब की भी ख़बर रखता हूं-
दोस्तों की भीड़ है फिर भी अकेला हूं यहां
क्यों वज़न सा मुझको लगता है ये नीला आसमां
खुद को जब भी खोजता, खुद को अकेला पाता हूं
कोई नहीं मुझको ये बोले "फिक्र ना कर मैं हूं वहां"
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शर्माना तो तेरी नज़ाकत है
मेरे दिल की मुझसे बगावत है
ये जो तुम्हें देख के मुझपे चढ़ रहा है
ये इश्क़ है या आफ़त है?
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तू चाहें मेरा नहीं हुआ पर ये दिल तेरा था
साथ चला मेरे फिर तू क्यों नहीं मेरा था?
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कभी तो हाल पूछो मेरा शिद्दत से तुम
मैं भी तुमको बताऊं कि मैं ठीक नहीं
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एक ख़्वाब...— % &कल तुझे सोचते सोचते
यूं दिन से रात हो गई
असल में नहीं हुई तो
ख्वाबों में ही मुलाकात हो गई— % &जो सामने कहने में डरता हूं
वो ख्वाबों में बात हो गई
मैं अपनी सुनाता रहा
और तू सुन के मेरी बात खो गई— % &तूने भी हां कर दिया मुझको
ज़िन्दगी की शुरुआत हो गई
फिर ज़िन्दगी भर के लिए
तू बस मेरे साथ हो गई— % &यूं ही तंग कर रहा था तुझको
और तू परेशान हो के रो गई
पर आंसू कैसे देख सकता हूं तेरे
एक बात कही, फिर तू खुशहाल हो गई— % &तुझ संग ज़िन्दगी कितनी हसीन थी ख्वाबों में
जैसे इश्क़ की बरसात हो गई
सुबह नींद खुली और तेरा मैसेज आया
तुमसे फिर से बात हो गई— % &यूं तो सुहानी हर रात होती है
पर कल कुछ अलग सी बात हो गई
तुम ख्वाबों में क्या आयी थी
इतनी हसीन ये रात हो गई
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थोड़ा वक्त अपना मेरे लिए बर्बाद कर देना
जब फिक्र हो मेरी तो मुझे याद कर लेना
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