Sanwar Kumawat Mau   (साँवरकुमावतमऊ धाराळी कलम)
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राजस्थानी भासा रौ कवि
राजस्थानी भासा रौ हिमायती
राजस्थानी भासा म्हारी जान
Joined 3 July 2018


राजस्थानी भासा रौ कवि
राजस्थानी भासा रौ हिमायती
राजस्थानी भासा म्हारी जान
Joined 3 July 2018
27 APR AT 20:24

कल आयेगा तब आयेगा, पहले आज को तो जी लो ।
जीवन यात्रा नही है आसान, इसे जी भर के जी लो ।।

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22 APR AT 12:27

धोळा धप्प
गाभा पेरयोडा
नेतावां
लागै है
रोहिड़ा रा
बिरख जैडा
घणा सोवणा
मन मोवणा
पण
फूलां री मैहक
जैड़ा गुण
निजर नीं आवै
दोन्यां मायं

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18 APR AT 13:12

होळे होळे
ढळती जवानी
अर
बीतती उमर
सीख देवै,
जिनगाणी जियो
जी भर'र जियो
इणमें
समस्यावां
खतम हुवणे री
बाट जोहणौ
सिरफ अर सिरफ
एक धोखो है

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6 APR AT 19:45

कलम
तू कदै
रुक मति
झुक मति
लिखती जा
निज भासा पीड़
बहरा कान
सुणे नीं तो
लिख अर दिखा
उण लोगां नै
मायड़ भासा रै
इक इक
आखर री तागत
कलम
तू लिखती जा
मायड़ भासा रौ मान

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4 APR AT 20:09

म्हे जाणू हूँ
दुनिया री भासा
पीठ पाछै
काईं बोले
सामी मुंडै काईं,
काम पड़े जदै
मीठा बोले
काम निकळ्या
मुंडो फेरे

म्हे जाणू हूँ
दुनियां री भासा
खुद रौ स्वारथ
देखै दुनियां
ओर पड़ै
सब भाड़ में
भलौ किणी रौ
करणों नीं
खुद रौ पेट
खाली रखणों नीं

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3 APR AT 19:46

सब काया रा लोभी अठै
काया देय'र माया लेवै
गोरख धंधों बढाता जावै
प्रेम नांव नै छळता जावै

रूप रंग सगळा ने भावै
शील गुण कोई नीं चावै
नैण मटक्का खूब लड़ावै
प्रेम वाळी निजर नीं पावै

थोड़ा दिनां तो लाड़ लड़ावै
पाछै तू तू मैं मैं बढ़ती जावै
तू थारे म्हे म्हारे होती जावै
प्रेम विच्छेद बढतो जावै

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31 MAR AT 9:12

ओढ़ कसुम्बल ओढ़नी
ओढ़ चाली नखराळी नार
बारु महीना घूमर घाले
कर सोळा सिणगार

हाथां मेहंदी राचणी
पैरां पायल बाजणी
लुळलुळ घूमर घालणी
घणी लाग'री सोवणी

नथली रा मोतीड़ा भळकै
हाथां रौ चुड़लो चमकै
नैणा रौ काजळ दमकै
दूर दूर स्यूँ गौरी पळकै

सोळह दिन तक गोरां पूजै
साथ साथ मे ईसर नै पूजै
भाई भावज री उमर माँगै
अर मांग रौ सिन्दूर माँगै

गणगौर्यां रौ मेळो आयो
हियै उमंग भरकर ल्यायो
सात सहेल्यां रौ टोळो आयो
संग में ईसर गणगौर ल्यायो

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30 MAR AT 8:21

ऊँचा ऊँचा महल माळीया अर रोशनदान
दूजा राज्यां सूं अलग छै राजस्थान री शान
आखो जगत गावै छै अठ्या रा वीरां रौ गुणगान
मात भौम री खातिर घणां करया बलिदान
धवळ हियै रौ मानखो जग में राखै छै पिछाण
छेल छबीला रंग रंगीला पहने छै परिधान
लोक संस्कृति अर लोकगीत अठै छै विद्यमान
बारुं महीना मेळा लागै तरै तरै रा बणै पकवान
दाळ बाटी अर चुरमों अठ्या री छै पिछाण
विदेस्या रा मूंडा सूं इणरो होवै छै बखाण
रंग रंगीलो धोरां वाळो म्हारो प्यारो राजस्थान

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27 MAR AT 19:48

तोलजै'र
फेर बोलजै
सबदां नै
बारम्बार,
तू बोलसी
एक बार
उणरा माथा में
उठसी
बार बार
थारो एक सबद
उणरै करसी
घाव अनेक
इण खातिर
पाणी पीणों
छाण'र
सबद बोलणों
जाण'र

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26 MAR AT 19:04

घर री नींव
मजबूत हुवै
तो कोई नीं
तोड़ सके
उण री
दीवाला नै
अर उण रा
कंगूरा नै

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