अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतम् कर्म शुभाऽशुभम् ।
नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्पकोटिशतैरपि।।
One has to bear the fruits of good and bad deeds done. Those actions are never destroyed without giving fruit.-
Faith consists in believing when it is beyond the power of reason to believe.
- Voltaire-
आगे राम अनुज पुनि पाछें।
मुनि बर बेष बने अति काछें।।
उभय बीच श्री सोहइ कैसी।
ब्रह्म जीव बिच माया जैसी।।-
अनुज बधू भगिनी सूत नारी।
सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।
इन्हही कुदृष्टि बिलोकइ जोई।
ताहि बधें कछु पाप न होई।।
- श्रीरामचरितमानस-
After All, The universe worked in strange and mysterious ways.
- Anna Downes-
"यदि कोई किसी को अपने पूरे चित्त से अनवरत याद करता है तो यह संभव है की वह भी इसे उसी तरह से याद कर रहा हो।"
-
जग में चार राम हैं , तीन सकल व्यवहार !
चौथा राम निज सार है , उसका करो विचार !!
एक राम दशरथ का बेटा , एक राम घट घट में बैठा !
एक राम का सकल पसारा , एक राम है सबसे न्यारा !
-
ऐसी मरनी जो मरे, बहुरी ना मरना होए
कबीरा मरता मरता जग मुआ, मर भी ना जाने कोय।
क्या जाने कीव मरांगे, कैसा मरना होए
जे कर साहिब मनहू ना बिसरे, ता सहल मरना होए ।-
मरौ हे जोगी मरौ, मरण है मीठा।
मरणी मरौ जिस मरणी, गोरख मरी दीठा।।-
जो आनन्द सिंधु सुखरासी ।
सीकर तें त्रैलोक सुपासी ।।
सो सुखधाम राम अस नामा ।
अखिल लोक दायक बिश्रामा ।।
- तुलसी दास कृत रामचरितमानस-