Santosh Shukla  
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Joined 22 April 2018


Joined 22 April 2018
23 AUG 2022 AT 11:17

It becomes easier to walk the path of happiness with trusted people

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23 AUG 2022 AT 10:53

जब आदमी अपने उत्तरदायित्वों को पूरा नहीं कर पाता या पूरा नही करता तब वह अनेक अनापेक्षित प्रतिक्रियाओं का अपने आप को शिकार बना लेता है।हर आदमी को अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने के उपाय और रास्ते निकालना या खोजना चाहिए जजिससे वह अपना उत्तरदायित्व पूरा कर सके ।

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18 JUL 2022 AT 14:12

Those who carry your burden on their shoulders, you should see that their feet don't get hurt because of you.

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1 MAY 2022 AT 13:56

यदि सोचते हो कि
कि ब्यर्थ होंगी श्रम की बूंदें
तो,यह भूल तुम्हारी ही होती है।
स्वर्ण शिलाएं हो या कलस अमृत का,
रचना उनकी इन बूंदों से ही होती है।
नवरत्नों का निर्माण इन्हीं से होता है,
इन्ही से रचना पुष्पों की होती है।।

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28 APR 2022 AT 8:52

There is a gruesome display of pride and brashness when one is insulted and ridiculed.

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25 APR 2022 AT 0:12

चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।
अश्क़ बहाना रातों में,
तरसाने के सिवा कुछ भी नहीं।
चकोर सी जिंदगी बीरानी,
अक़्श ए तड़प के सिवा कुछ भी नहीं।
सूरज की तपिश,चांद की शिशिर,
उदास गज़ल के सिवा कुछ भी नहीं।
चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।

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24 APR 2022 AT 23:54

चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।
अश्क़ बहाना रातों में,
तरसाने के सिवा कुछ भी नहीं।
चकोर सी जिंदगी बीरानी,
अक़्श- ए- तड़प के सिवा कुछ भी नहीं।
सूरज की तपिश,चांद की शिशिर,
उदास गज़ल के सिवा कुछ भी नहीं।
चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।

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24 APR 2022 AT 23:37

चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।
अश्क़ बहाना रातों में,
तरसाने के सिवा कुछ भी नहीं।
चकोर सी जिंदगी बीरानी,
अश़्क ए तड़प के सिवा कुछ भी नहीं।
सूरज की तपिश,चांद की शिशिर,
उदास गज़ल के सिवा कुछ भी नहीं।
चांद की आंखों में-
तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं।

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23 APR 2022 AT 20:27

Mental consciousness is the source of innumerable creative potentials. In the fertility of the mind, a variety of creative abilities sprout.

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13 MAR 2022 AT 14:27

अपराधी कभी सीखना नहीं चाहता।सभ्य नागरिक कानून नियम का पालन करता है।अपराधी उन्हे तोड़ता है।दमन के बाद विनाश का दौर प्रारम्भ होता है।हिटलर ने दमन का रास्ता अपनाया था,फिर उसका विनाश हो गया।सच्चाई को अस्वीकार करते रहने के साथ साथ पतन और विनास का मार्ग खुलता जाता है।सीख लेना ही बुद्धिमानी और सभ्य नागरिक की पहचान होती है।

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