Santosh Purswani Sant   (Santosh Purswani Sant)
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mai'n sir'f mai'n hu'n...
aur kuchch nahii'n.......
Joined 17 December 2016


mai'n sir'f mai'n hu'n...
aur kuchch nahii'n.......
Joined 17 December 2016
24 OCT 2023 AT 13:39

सितम हद से ज़ियादा जब भी बढ़ते हैं ज़माने में,
तभी अवतार ले कर इस धरा पर राम आते हैं।

सन्तोष "सन्त"

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15 AUG 2022 AT 18:54

लौ जलाई थी जो शहीदों ने,
हमसे थामी नहीं गई अब तक।

मुल्क आज़ाद हो चुका कब का,
पर ग़ुलामी नहीं गई अब तक।

सन्तोष पुरस्वानी "सन्त"

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27 FEB 2022 AT 18:43

जश्न में सब फ़त्ह के हैं चूर लेकिन,
हमसे पूछो क्या हमें खोना पड़ा है।

©सन्तोष "सन्त"

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10 FEB 2022 AT 19:00

बात करनी थी........बात कर लेते,
फ़ोन डायल किया तो काटा क्यों?

©सन्तोष "सन्त"

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4 MAR 2021 AT 20:31

(आस)

न है कोई साथी,
न है कोई महफ़िल,

मगर गा रहा हूँ......

न है कोई रस्ता,
न है कोई मंज़िल,

मगर जा रहा हूँ......

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22 FEB 2021 AT 18:45

"नेकियाँ करके डाल दरिया में",
हम न समझे ये फ़लसफ़ा अब तक।

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11 FEB 2021 AT 12:19

ख़ुद को दुहराने लगा है मेरा माज़ी,
इक हबीबा फिर से याद आने लगी है।

© सन्तोष पुरस्वानी "सन्त"

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29 JAN 2021 AT 19:48

हमको सच बोलने की आदत थी,
हम भी टाँगे गए सलीबों पे।

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25 JAN 2021 AT 16:32

ख़्वाब आते हैं रोज़ तड़पाने,
नींद का कुछ अता पता ही नहीं।

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22 JAN 2021 AT 13:30

मश्क़ ए तज़मीन

हसीन लगती है क़ुर्बत ये ठीक है लेकिन,
"क़रीब आओ मगर कुछ तो फ़ासला रक्खो।"

© सन्तोष पुरस्वानी "सन्त"

बला का हुस्न लिए दिल को क्यों जलाते हो,
"क़रीब आओ मगर कुछ तो फ़ासला रक्खो।"

© सन्तोष पुरस्वानी "सन्त"

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