Santosh Poudyal  
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Joined 14 February 2018


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Joined 14 February 2018
2 DEC 2018 AT 15:52

हमें उसने
अपना बना लिया
दूसरे ही पल
पराया कर दिया
क्योंकि यह क्रम है
किसी दूसरे पराए को
अपना बनाने का
और किसी अपने को
को पराया करने का

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12 JUN 2021 AT 1:06

प्यार, औकात और
छोटी सोच की चादर से
मैं उस अनंत को समेटने चला था,
होना क्या था, अंत में, मैं हार गया।

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5 MAY 2021 AT 22:39

न कहानी, न किस्से,
न दास्तां, न जिक्र,
बस सुकून, शान्ति,
मिलन और तुम।

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9 SEP 2020 AT 18:39

जितना हम दूर, रहते हैं
उतना हम, मजबूर रहते हैं।
जितना हम, पास में रहते हैं
उतना हम, आस में रहते हैं।

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8 MAY 2020 AT 14:38

मैं हूं, रहूंगा
तुम हो, रहना
इसके अलावा
अब और कोई
बात नहीं होगी

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7 MAY 2020 AT 21:00

कि तुम अतीत हो
क्योंंकि, उसको देखा है मैंने, झेला है मैंने
तुम तो वही हो, ठीक वैसी ही हो
जैसा मैंने सोचा था

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5 MAY 2020 AT 13:57

स्मोकिंग ज़ोन
(Read Caption)

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4 MAY 2020 AT 17:33

तुम देवी निस्वार्थी
मैं मानव स्वार्थी
(Read Caption)

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11 MAR 2020 AT 17:53

मैं स्वार्थी
(Read Caption)

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7 FEB 2020 AT 17:37

गुलाब सी तुम
मैं कांटो सा
(Read Caption)

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