जरा आहिस्ता गुजर ये जिंदगी अभी तो कई ख्वाब, कई अरमां बाकी है अभी तो मेरे हिस्से का सारा आसमां बाकी है जरा आहिस्ता गुजर ये जिंदगी अभी तो कई उड़ाने,मेरे कई अंदाज बाकी है अभी तो ये शुरुआत है,अभी मेरे कई आगाज बाकी है ।।।
ये दीप दीपावली का कोई यूँ ही नही जलाता है मिटा कर अंधेरा मन का रगों में ये साहस भरता है ।। जलाकर जीवन के दुखों को सुखों का आव्हान करता है ये दिप दीपावली का कोई यूँ ही नही जलाता है ।। मिटा कर तमस सारे जीवन का ये दीप हर पल जीवन मे उजाला करता है ये दीप दीपावली का कोई यूँ ही नही जलाता है इस दीपावली प्रभु मुझ पर बस इतना उपकार करना जला देना मेरे अंतर्मन में भी एक दीप तुम्हारे नाम का ।।।