Santanu Das   (Santanu Das)
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ज्यादा कुछ नही है मेरे बारे में, जानोगे तो जान जाओगे

Ig- i_santanudas
Joined 2 October 2017


ज्यादा कुछ नही है मेरे बारे में, जानोगे तो जान जाओगे

Ig- i_santanudas
Joined 2 October 2017
25 FEB 2023 AT 22:17

कुछ यूं इत्मिनान से संभाल के रखे है मैंने वो दिन।
दिन वो हमारी पहली मुलाक़ात के,
दिन वो तेरे साथ भीगे बरसात के,
दिन वो जिसमे हम बैठेंगें किसी पेड़ के साये,
दिन वो जब हम बाटेंगे एक प्याली चाय,
दिन वो जब तुम्हारी मुस्कुराहट दूर करेगी मेरी उलझन,
दिन वो जब तुम बनोगी मेरी दुल्हन,
दिन वो जिसमे हम एक साथ है,
दिन वो जिसमे हम जिंदगी के बाद हैं।
बस कुछ ये महँगे ख्वाब है मेरे जो कि अधूरे है तुम्हारे बिन,
ना जाने कब आएंगे मेरे ये फरमाये हुए दिन।

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18 OCT 2022 AT 8:58

कह दो जो तुम अगर तो हसरत-ऐ-जीना छोर दे,
क्या रुबाब, क्या खुराक, हम् शराब भी पीना छोर दे।।

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18 SEP 2022 AT 10:45

रास्ते मे चले बिना मंजिलें नही मिलती, कुछ रास्तों में भटकना भी जरूरी है।
कोसिसें किये बिना सफलता नही मिलती, कुछ कोशिशों में अटकना भी ज़रूरी है।
खिलाफत के बिना वो मुकाम नही मिलती, कुछ लोगों को खटकना भी जरूरी है।।

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4 SEP 2022 AT 14:50

क्या ये जिन्दगी ऐसे ही गुजर जाएगी?
बिन, कोई आरज़ू जीने के।
साथ, कुछ कर दिखाने के ख्वाब के।
अधूरे, कुछ सपने खुद के।
साँसें, कुछ बिन आपके।।

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26 AUG 2022 AT 22:08

कल की खुशी के लिए आज अपने ख्वाइशों को दफन किये जा रहे है।
खुद के सपने छोर परिवार के उम्मीदों का घुट पिये जा रहे है।
एक दिन अपना भी आएगा बस इसी ऐतबार में हम भी जिये जा रहे है।
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िन्दगी है भी या फिर मौत के ताक में तुझे हुम् जिये जा रहे है।।

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25 AUG 2022 AT 15:28

अगर कर्मो के हिसाब से लिखता तू किस्मत,
तो मैं क्या इतना खराब हु क्या?

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20 AUG 2022 AT 15:17

यूँ तो मिलता हु सबसे मैं झूम के।
मुस्कुराते चेहरे ये मेरे है झूट के।
मौज़ काटूं जो में तो जैसे लगती है भीड़,
आएंगे क्या वो पीछे मेरे जनाजे के ?

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23 JUN 2022 AT 16:04

फरमाइशों में उलझी ये जिंदगी।
चाहतों में सिमटी ये जिंदगी।
पाया बोहत कुछ है इस ज़िन्दगी मे,
पर तुम बिन अधूरी ये जिंदगी।।

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17 JUN 2022 AT 10:38

बरसात भी अब कुछ तुम्हारे जैसी लगने लगी है।
वो भी आती है अब किसी मौसम की तरह।।

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7 JUN 2022 AT 21:20

इन लहराती ज़ुल्फो को छू कर आती हवाएं।
बाहरी धूप में इन घनी ज़ुल्फो के सायें।
बांध लो जो इन्हें तो भी कुछ कम नही लगती।
खुले लटों में तो अये हए।।

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