कुछ यूं इत्मिनान से संभाल के रखे है मैंने वो दिन।
दिन वो हमारी पहली मुलाक़ात के,
दिन वो तेरे साथ भीगे बरसात के,
दिन वो जिसमे हम बैठेंगें किसी पेड़ के साये,
दिन वो जब हम बाटेंगे एक प्याली चाय,
दिन वो जब तुम्हारी मुस्कुराहट दूर करेगी मेरी उलझन,
दिन वो जब तुम बनोगी मेरी दुल्हन,
दिन वो जिसमे हम एक साथ है,
दिन वो जिसमे हम जिंदगी के बाद हैं।
बस कुछ ये महँगे ख्वाब है मेरे जो कि अधूरे है तुम्हारे बिन,
ना जाने कब आएंगे मेरे ये फरमाये हुए दिन।
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Ig- i_santanudas
कह दो जो तुम अगर तो हसरत-ऐ-जीना छोर दे,
क्या रुबाब, क्या खुराक, हम् शराब भी पीना छोर दे।।-
रास्ते मे चले बिना मंजिलें नही मिलती, कुछ रास्तों में भटकना भी जरूरी है।
कोसिसें किये बिना सफलता नही मिलती, कुछ कोशिशों में अटकना भी ज़रूरी है।
खिलाफत के बिना वो मुकाम नही मिलती, कुछ लोगों को खटकना भी जरूरी है।।-
क्या ये जिन्दगी ऐसे ही गुजर जाएगी?
बिन, कोई आरज़ू जीने के।
साथ, कुछ कर दिखाने के ख्वाब के।
अधूरे, कुछ सपने खुद के।
साँसें, कुछ बिन आपके।।-
कल की खुशी के लिए आज अपने ख्वाइशों को दफन किये जा रहे है।
खुद के सपने छोर परिवार के उम्मीदों का घुट पिये जा रहे है।
एक दिन अपना भी आएगा बस इसी ऐतबार में हम भी जिये जा रहे है।
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िन्दगी है भी या फिर मौत के ताक में तुझे हुम् जिये जा रहे है।।-
अगर कर्मो के हिसाब से लिखता तू किस्मत,
तो मैं क्या इतना खराब हु क्या?-
यूँ तो मिलता हु सबसे मैं झूम के।
मुस्कुराते चेहरे ये मेरे है झूट के।
मौज़ काटूं जो में तो जैसे लगती है भीड़,
आएंगे क्या वो पीछे मेरे जनाजे के ?-
फरमाइशों में उलझी ये जिंदगी।
चाहतों में सिमटी ये जिंदगी।
पाया बोहत कुछ है इस ज़िन्दगी मे,
पर तुम बिन अधूरी ये जिंदगी।।-
बरसात भी अब कुछ तुम्हारे जैसी लगने लगी है।
वो भी आती है अब किसी मौसम की तरह।।-
इन लहराती ज़ुल्फो को छू कर आती हवाएं।
बाहरी धूप में इन घनी ज़ुल्फो के सायें।
बांध लो जो इन्हें तो भी कुछ कम नही लगती।
खुले लटों में तो अये हए।।-