Sansruti Sahu  
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Joined 23 May 2017


Joined 23 May 2017
4 MAY 2019 AT 0:01

जो तुम पर है बवाल इतना
आखिर बवाल कि हद क्या है
जो तुम ही को नहीं खबर बवाल की
फिर बवाल पर इतना बवाल क्यों है

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2 MAY 2019 AT 0:01

जाने के बाद तेरे कैसी तबदीली है
आते जाते चुभते हर लम्हे में
ज़िन्दगी ही बाकी नहीं जैसे
अब मिरे बेज़ार ज़िन्दगी में
हर राह बन कर दो राह बिखरा अब हर तरफ़
कहीं पहुंचने कि जैसे कोई फ़िक्र ही नहीं
क्या हासिल अब खुद को समेट चलते रहने का जब
मन्ज़िल ही नहीं बक्शा ख़ुदा ने मुझ को इस सफ़र में

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1 MAR 2019 AT 18:15

दिल की हुकूमत के हैं अपने ठाटबाट
उसकी सल्तनत से घबराते हैं लोग
यही है वजह अपने ही दिल के
दिमाग़ से अक्सर मात खाते हैं लोग
दुनियादारी के चक्कर में इस अन्दाज़ में
अपने ही दुश्मन हो जाते हैं लोग
जीतने के उसूल कुछ तय तो नहीं
मगर इस तरह हार जाते हैं लोग

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20 FEB 2019 AT 18:14

दोनों ही नशे इक तस्वीर में हैं कैद
अदरक वाली चाय का प्याला
और तुम्हारे होंठो का शिवाला

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15 FEB 2019 AT 12:07

यूं किश्तों में एक एक इंसान का
ज़ाया होना जायज़ नहीं लगता
किस बात का रिश्ता निभाना इंसानियत का
पहली सांस में मुस्तक़बिल उनका सियाह कर दो
मौका है वाजिब जनाब खून भी है खौल रहा
अपने गुरूर को फिर एक बार ज़िंदा कर दो
ए मुल्क के रखवालों एक बार ही सही
दुश्मन का इलाका तमाम कब्रिस्तान कर दो
दिया उसने वफ़ा के बदले जफा हर दफा
सब्र के बदले हासिल फकत सीने में ज़ख़्म हर दफा
उनके फरेब को अपने रहम के सल्तनत से निकाल
नेकदिली को रख कर परे लाशों का ठिकाना कर दो
सियासती पुतले जो अब भी सेकें अपने मुद्दों कि रोटी
उन्हें भी ज़लालत की आग में जला कर फना कर दो
वक्त नहीं इक इक हमले का सबक ख़ामोशी से देने का
बस हस्ती मिटा कर अब दुश्मन को ख़ाक कर दो

#pulwama attacks

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8 FEB 2019 AT 22:34

फ़रवरी में मुंबई ठिठुर रही
इश्क़ के गरम किस्से जाने कहां घुम है
महीना बेशक है मुहब्बत का
रिश्तों की लौ क्यों फिर भी मद्धम है

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1 FEB 2019 AT 21:44

फ़रवरी, कैसे करूं बयां मेरे लिए क्या हो तुम
इक तमाम बरस की धड़कन हो तुम
जवां अदाओं की शोखी हो तुम
पेचीदा बाघी फितरत को गुदगुदाती मस्ती हो तुम
बसंत की गोद में पलता तोहफ़ा हो तुम
बेबाक इज़हार का बहाना तुम
ज़िक्र से महरूम इश्क़ भी तुम
बाक़ी महीनों का वजूद हो तुम
हवाओं में सर्गोशी का इत्र घोलती तुम
गुलाबी ठंड की हल्की हल्की धूप हो तुम
फ़रवरी, सांसों का कारवां और सबक भी तुम
दिल की रफ़्तार का बहाना हो तुम
रोमांस के किताब का पहला पन्ना हो तुम
फक़त वक्त का गुच्छा नहीं तुम
फ़रवरी, हर लम्हे का मायना हो तुम
दौड़ते ज़माने में संभलने की वजह हो तुम
थक जाऊं कभी जो सुकून का किस्सा हो तुम
तन्हाइयों में जो जान फूंक दे वो महफ़िल हो तुम
दिन रात की शक्ल में ढली उम्मीद का पिटारा हो तुम
फ़रवरी, कैसे बयां करूं मेरे लिए क्या हो तुम
इश्क़ मुहब्बत इबादत का दूजा नाम हो तुम
इंसान को इंसान बने रहने का मकसद भी तुम
फ़रवरी, ख्वाबों को देकर चहरा उसे संवारती हो तुम
बात बे बात मुस्कुराते रहने का सिलसिला हो तुम
उम्मीद का दामन थामे चलते रहने का सबब हो तुम
फ़रवरी, इतना जान लो बस सबसे अज़ीज़ हो तुम

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30 JAN 2019 AT 17:10

तेरी कुरबत में ही क्यों
सुकून का डेरा है
तू पहलू में नहीं तो सब बेमतलब
आख़िर ये क्या मसला है

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27 JAN 2019 AT 22:33

You feel I wish you Goodnight
Just as a matter of habit ??
I wish you the world of sleep
So that we meet with our tales
In the hustle bustle of dreams
And when the night surrenders to the dawn
We have our stories to share with the world of hopes.

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21 JAN 2019 AT 11:04

उसे है खौफ़ मैं बेख़ौफ़ पढ़ लूंगा आंखें उसकी
जहां दफ़न तन्हाई की दास्तान और ख़्वाब कहीं नहीं
है खबर उसे मेरे इस हुनर का अब यकीनन
इस बात में कोई शक उसे भी नहीं
करता हूं दीदार जब कभी हालात से छुप कर
जान लेता हूं क्या है फसाना क्या हकीक़त नहीं
कुछ ऐसा राबता है अब मेरे उसके दरमियान
कायदे नहीं ज़माने के मगर रिश्ते का नाम कुछ नहीं
वो मुझसे अपना ज़िक्र करता तो है
फिर भी मुलाक़ात उसे मंज़ूर नहीं

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