जब तेरी यादों का मौसम
चुपके से चला आता हैं
खामोशियों से तेरी कहानियां सुनाता हैं
इन शान्त आंखों में तेरी यादों की नमी जगा देता हैं
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ऐ दरिया
कब तक यु ही हमें बहायेगी
किसी दिन कभी न कभी
किसी किनारे का सहारा जरूर मिलेगा-
बड़े अरसे बाद उसनें पुछा
अभी तक तुम पुराने
हि मकान में रहते हो
अब क्या बताये उन्हें
कि मोहब्बत किऐ है
कोई शतरंज का खेल नहीं-
उस अजनबी खुशबु के खुशबु
में हम इस कदर मदहोश
हो गयें कि अब किसी
और खुशबु की चाहत न रहीं-
तेरी खुशबु का जिक्र सुन के
इन गुलाबों के भी
मुंह फुल जाते हैं— % &-
ऐ जिंदगी सोच समझ कर
बर्बाद किया कर मुझे
मेरी माँ ने बहुत प्यार से पाला है-
मोबाइल से तो नम्बर डिलीट हो गया है
लेकिन इस दिल ने आज तक
याद रखा हैं
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जो चले गये उनके
गम में उदास क्यों बैठना
उनकी यादों में खुस रहना सिखों-
ऐ इश्क़ का पतंग
उतरे तो उतरे भी कैसे
तुम्हारे छत पे तो निगरानी
भी बहुत है!-
एक पहली
और आखरी मुलाकात
की ख्वाहिश थी
लेकिन वो सब
फोन तक ही
सिमट के रह गया-