Sanskari Singh   (Manish Singh (MS))
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Joined 29 September 2020


Joined 29 September 2020
30 DEC 2024 AT 17:23


जब तेरी यादों का मौसम
चुपके से चला आता हैं
खामोशियों से तेरी कहानियां सुनाता हैं
इन शान्त आंखों में तेरी यादों की नमी जगा देता हैं

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11 NOV 2022 AT 15:42

ऐ दरिया
कब तक यु ही हमें बहायेगी
किसी दिन कभी न कभी
किसी किनारे का सहारा जरूर मिलेगा

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7 JUN 2022 AT 10:18

बड़े अरसे बाद उसनें पुछा
अभी तक तुम पुराने
हि मकान में रहते हो
अब क्या बताये उन्हें
कि मोहब्बत किऐ है
कोई शतरंज का खेल नहीं

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3 APR 2022 AT 11:14

उस अजनबी खुशबु के खुशबु
में हम इस कदर मदहोश
हो गयें कि अब किसी
और खुशबु की चाहत न रहीं

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2 FEB 2022 AT 18:09

तेरी खुशबु का जिक्र सुन के
इन गुलाबों के भी
मुंह फुल जाते हैं— % &

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11 JAN 2022 AT 10:50

ऐ जिंदगी सोच समझ कर
बर्बाद किया कर मुझे
मेरी माँ ने बहुत प्यार से पाला है

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28 DEC 2021 AT 13:14

मोबाइल से तो नम्बर डिलीट हो गया है
लेकिन इस दिल ने आज तक
याद रखा हैं

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25 OCT 2021 AT 19:23

जो चले गये उनके
गम में उदास क्यों बैठना
उनकी यादों में खुस रहना सिखों

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2 AUG 2021 AT 9:55

ऐ इश्क़ का पतंग
उतरे तो उतरे भी कैसे
तुम्हारे छत पे तो निगरानी
भी बहुत है!

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10 JUL 2021 AT 17:37

एक पहली
और आखरी मुलाकात
की ख्वाहिश थी
लेकिन वो सब
फोन तक ही
सिमट के रह गया

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