जख्मों से उभरा था मै,
मेरे बदन पे दाग थे,
मर गई थी ख्वाहिश तेरी,
उतरे चाहत के नकाब थे।
रह गया था समाए तेरी चाहत में काफिर,
कहते थे सब तेरी यादो के अंजाम थे।।-
हीर भी लिखदू रांझा भी बन जाऊ,
तेरी इबादद में मैं आकिब भी बन जाऊ,
तूने अभी इश्क़ जताया भी न है मेरे खुदा,
तेरे इकरार की सजा में मैं खुदको भी बेच दूं।।-
कोई दूर है या नूर है,
मेरी आंखों का सुरूर है,
कोई पास है ना आस है
वो अपना है और जरूर है।।-
खफा थी मोहब्बत की दुनिया,
बेरुखी कर लिया आसमानों ने भी,
जलती रही मेरे इश्क की चिता,
हंसते रही महबूब मेरी भी।।
दर्द से तड़पती ये आंखे,
आंसुओ की बढ़ो में बह गई यादें,
सितम की मोहब्बत थी जो रूह से मेरी,
बेवफाई के नगमे वो सुनने से खुदको बांधे।।
जहर सा समझ के उसकी दुख भरी कहानी,
पी गए हम भी जो सुनी उसकी ज़ुबानी,
अब्तो रहम की भी लाज नही उससे,
जिसे कहा था की है वो मेरी मेहरबानी।।
चलो अब हम भी चलेंगे उन राहों पर,
जिनपर चलने की ना कसमें ठानी थी,
जो रखते है अब मुझसे तन्हाई की कसमें,
उनकी सांसों से भी बस मेरी आह आनी थी।।-
इश्क़ था तुझसे जो मुकम्मल ना हो पाया, वरना आशिक तो आज भी हम तेरे ही है।।
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यूं पैरों पर जब तुम काला धागा बांधती हो,
अपनी खूबसूरती की सजा हमको दिलवाती हो,
बेचैन हो जाते है जो तेरी पलकों की खैरियत से,
उफ्फ तुम हम आशिको पर इतना जुर्म ढालती हो।।
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यूं बेवफाओ की तरह जो आप रुकसत करते है,
प्यार से ज्यादा आप इंतकाम करते है,
मर जायेंगे किसी दिन यूंही आपकी महफ़िल में,
फिर कहने सब मुझे आपके नाम से बदनाम करते है।।😉-
इश्क में एक दफा ठहराव ही सही,
ताउम्र नही लेकिन मोहब्बत मिले तो कही।।-
बेदखल कर दिया है खुदको अब सबसे,
अपनो की दखल भी उनको अब खौफ सा लगता है।।-
मैं हारा हुआ इंसान हू।।
खुदसे ही भागता हु मैं,
मैं खुदसे परेशान हुँ,
ज़िन्दगी की इस दौड़ मैं,
मैं हारा हुआ इंसान हू।।
कर्मो से चूका हु मैं,
मैं धर्मो से भी हैरान हूं,
चुभता हु खुदकी आंखों में ही,
मैं हार हुआ इंसान हुँ।।
अपनो से ही बैर हु मैं,
लगता सबको अपमान हु,
नापसंद हू अपनो को भी अब,
मैं हारा हुआ इंसान हु।।-