कुछ बातें तो कुछ यादें लिखनी है
कुछ बेताबी तो कुछ फरियादें लिखनी है
कुछ ख्वाब तो कुछ हक़ीक़त लिखनी है
मेरे अधूरे इश्क़ की पूरी किताब लिखनी है....-
वरना ज़िन्दगी में कुछ और ना के पाओगे....
कोई शीशे का ग्लास नहीं, दिल है मेरा
टूटने के बाद ये ना कहना "गलती से हुआ".....
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आग की लपटों सा तप रहा था मैं,
वो मुझे बाहों में भरके शीतल कर गई....-
उनकी सूरत की क्या बात करे साहब
एक दिन अगर वो ज़ुल्फे ना संवारे, तो आइना भी मायूस हो जाता है.....-
लेकर तेरी तस्वीर को
बैठा मैं जब अपने अंगने
खुदा बोला, आज फिर आ गया
अपने चांद से दीदार-ए-इश्क करने......-
दो चार कदम नहीं,
सात जन्म साथ चल पाओगे क्या?
मेरी उंगलियों का स्वाद पसंद नहीं मुझे,
अपने हाथों से निवाला खिलाओगे क्या?
रुठुंगी मैं जब भी तुमसे,
प्यार से मुझे तुम मनाओगे क्या?
खाली दिल लेकर आई हूं मैं,
अपने प्यार से इसे भर पाओगे क्या?
सात फेरे लेना चाहती हूं मैं,
तुम मेरी मांग सजाओगे क्या?
दो चार कदम नहीं,
सात जन्म साथ चल पाओगे क्या?-
जींस में कातिल,
तो सूट में कमाल लगती है।
पहन ले जो वो साड़ी,
मां कसम बवाल लगती है।।-
याद है मुझे आज भी उसकी गोद में सर रखना,
इन तकियों में वो बात कहां.....-
ज़िंदगी के कुछ हसीन लम्हे जीने निकला था,
कमबख्त पुरानी यादों ने फिर समेट लिया.....-