sanskar jaiswal   (Callow ink)
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Joined 22 January 2018


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15 FEB 2022 AT 22:54

अब मसले बहोत है, मलाल बहोत है
उन पन्नों मे उलझी पड़ी है जिंदगी
जिसमें सवाल बहोत है
— % &

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3 DEC 2021 AT 19:56

हम ही, हमको बर्दाश्त नहीं हो रहे,
बताओं क्या करें

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10 NOV 2021 AT 13:56

कहीं पे हो जिंदगी,
तो कहीं पे, जिंदा हो हम
बस इतनी सी आस है

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27 OCT 2021 AT 13:56

सब के अपने, अलग पिंजरे है
उड़ान सबकी अलग है

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27 OCT 2021 AT 12:19

परहेज़ करो ख़यालों से ,
वो ख़फ़ा है अब, आईने से

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7 OCT 2021 AT 23:45

किसीको दूर करने के लिए
उसको मजबूर करना होता है

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15 SEP 2021 AT 22:55

हर कोई तलाश मे है,
पूरी तरह लाश होने तक

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25 AUG 2021 AT 10:12

कैसे भूला दूँ तुमको , बताओ
ताउम्र चाहने की ख्वाहिश रखी थी

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19 AUG 2021 AT 23:37

किराये की रोशनी से, रोशन है  ये जहां
लोग चमक देखकर कर जलते है

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19 AUG 2021 AT 23:18

हर कोई भ्रम मे है
माफ़ करना, इसलिए ग़म मे है

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