कभी-कभी...
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थोड़ा-थोड़ा रोज मरती हूं तन्हा रातों में....
©Sav... read more
तू जो बिछड़ गया था तो बिछड़ ही जाता
क्यों तू ठहरा रहा हर आस रहा हर सांस रहा-
नाक में नथनी कानों में झुमका लगती हो राधा के जैसे
दिल चुराया, जान चुराई, लगा लो सीने से दूर रहूं मैं कैसे-
तुमको हर बात बताकर जाने मुझको क्या होता है
तुम बस हाँ में हाँ करते हो, मेरा 'जी' हल्का होता है
मेरी बातों के पीछे नहीं कोई खास मतलब होता है
बस हमको अच्छा लगता है जब तू मेरे पास होता है
यूं तो तन्हाई में काटी है हमने बेवफ़ा रातें कई
दिल को सुकून मिलता है जब तू आगोश में होता है
हाय यह कैसी मोहब्बत है मेरी किस्मत में एहसास
मैं हूं फुर्सतों में और तू कहीं और मसरूफ होता है-
रूठी मंजिल छूटे हाथ..
तड़पे रुह बरसे नैन..
जिस्म तबाह जले जिंद..
एहसास फना राहें जुदा़
रात तूफानी .. गजब अंधेरी
ना हमदम ना साया कोई..
बस.. आखरी चाहत
मुर्दा खयाल दफन ख्वाब
दर्दे दिल की दलील है आंसू
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एक दिन तो सब बदलना था
एहसास टूट कर बिखरना था
झूठ से जो हमारा रिश्ता था
आखिर कब तक चलना था-