फडके
दाह झाला भिकारी माझा.
मी आस कुणाची ठेऊ.
फडक्याचे झाले ओझे अंगाला.
अजुन मी किती लाज ठेऊ.
रूप देखन देवाने दिलेल.
त्याला मी कसे झाकून ठेऊ.
घारट्या अनोळखी नजरा त्यांच्या.
मी डोईवर कोणता पदर ठेऊ.
कृष्णाने सोडली बोटाची चिंधी.
म्हणाला कर्ज कुणाचे ठेऊ.
खूप आहेत द्रौपद्या इथे.
मी अब्रू कुणाची ठेऊ.
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SanRare..... Aura made by lyrics
Heart beat by rhythm...💖�... read more
उम्रदराज़
मेरा घर उम्रदराज़ हो गया हैं मेरे जितना।
वो भी अपना है अब भी तेरे जितना।
पूरी कविता caption मे पढ़िए ......-
"एक तन्हा शाम"
मैं शाम हूँ किसीकी,अकेली और तन्हा..
जो अंधेरे और उजाले के बीच हैं.
एक और है डूबता सूरज,
एक और चाँद अपनी बाहें फैलाए...
मैं एकतरफ़ा इश्क़ हूँ...
मेरे मन में वो,उसके मन में वो...
जानकर भी भरम पालता हुआ...
एक आस में जीवन काटता हुआ...
लिए अपना आधा नसीब...
मैं जाम हूँ जो अभी भरा हैं..
अपने दोस्त के बारे सोचकर...
की खाली कैसे करे उसके बग़ैर...
मैं एक मिठी याद हूँ,मैं एक अधूरी सी प्यास हूँ...
जिस वक़्त कुछ लोग,घर और काम के बीच में...
किसी सिग्नल पर थकान लिए, ठहरे हुए सोच में...
सुख़न की आस लिए, घर जाने के इन्तेज़ार में ...
लगता हों बुढ़ापा,जवानी छोड़ गया हो...
खिलौनों को तरसता,एक छोटा बचपन जैसे...
एक दुसरे से मिलना चाहें,फ़िर से एक दफ़ा..
माँ की ममता पुकार रहीं हों जैसे...
और वक़्त तुम्हें मिलने ना दे..
मैं जिंदा तो हूँ पर,शय्या की नींद में आँखे बंद..
ना मैं बुरा हूँ,ना ही मैं हूँ अच्छा...
बस बीच की हैं ये दासता...
मैं शाम हूँ किसीकी,अकेली और तन्हा...-
कुछ तो पाया है एक वक्त में,
अब थोड़ा लगता नाराज है।
यक़ीन कर मेरे यार अभी,
मेरे लिए तु बहोत खास है।
वक्त के दौड़ में जरा हार गये है ।
पर सच मानो प्यार वहीं हैं ।-
दुश्मनों को मेरे ये लग गई हैं नज़र,
माँ ने जो मेरे सर से हाथ फेरा ।-
"आदत"
बच्ची सी है, आदत मेरी
बिगड़ी हुयी, पागल सी है।
वो एक चेहरा, देता हैं सुकून,
पूजता हूं जिसको, ख़ुदा सा है।
ख़ामोशी का मेरे आवाज सा है ।
किनारों का मेरे साहिल सा है ।
पतंगों संग मैं बहक जाऊँ कहीं,
वो हवा में शामिल, आहट सा हैं ।
बाग मे चहकते फ़ूलों सा है ।
बहकता हुआ, शराब के नशे सा है ।
ख़ामोश चेहरे की मेरी दासता बताये,
वो मेरे अंदर छुपे आत्मा सा है।
मेरी आँसू मे छुपे दर्द सा है ।
मेरे खुशी मे चहकते हसी सा है ।
हर मंज़र तेरे संग काटना है मुझे,
वो मेरे ज़िंदगी में, ज़िन्दगी की जान सा हैं ।-
"मतलब के"
ये अश्क हैं खराब आँखों से छलकते हैं..
आँखों नें देखे हैं वो आँसू मतलब के..
बुने हुये रिश्ते की कोई आम क़ीमत नहीं..
यारी अय्यार से यहां सब रिश्ते मतलब के..
तुम्हें तो एकदिन हैं यहां ख़ाक में मिलना..
आती भी है नींद तो तुम्हारे सपने मतलब के..
तुम्हें तो पूछते हैं लोग जो हैं हुनर वाले..
काम आएगा ये बंदा यहां दोस्तदार मतलब के..
बेपरवाह हुये भी तो चैन है नहीं सहाब..
परवाह उस ख्वाहिशों की जो हालात मतलब के..
मौत में मौत नहीं जिंदगी मौत है..
शाम हसी ठहर जाएगी सांसो के शोर मतलब के..
शिकवे गिले करना यहां तो आप रोजाना..
रिश्ते खत्म करना ये तो काम मतलब के..
संकेत से पूछो कोई है यहां मतलब का ..
कहाँ की कोई मतलब बिना नहीं, यहाँ सारे लोग मतलब के ..-
🍁"जगण्याचे कारण"🍁
मनाला मनाची जाण शोधत आहे,
कुणाला कुणाची हाक शोधत आहे.
प्रीतीत गुलाबाच्या, कुणी कांटे तोडले,
कुणी काट्यांच्या प्रीतीत, बाभूळ शोधत आहे.
खिडकीच्या पलीकडचा नाद मोठा वेगळा,
हातांना बाहेर काढताच, तो हवा शोधत आहे.
मोहात कुणाच्या, कुणी बावरे झाले,
कुणी काजव्याच्या नादात, रात्र शोधत आहे.
परतून आली पुन्हा, मखमली सकाळ नव्याने,
कुणी अजुन ही, रात्रीची झोप शोधत आहे.
जा घेऊन जा, माझ्या वेड्या आठवणी कुणी,
मी जगण्यासाठी स्वतः चा मृत्यु शोधत आहे.
संकेत देतो पूर्ण आयुष्य होईल शोधात व्यस्त,
मी माझ्या शोधात "जगण्याचे कारण" शोधत आहे.-
यादें सुनो तो!! ♥️
खामोशी में लिपटे दर्द सुनो तो,
चेहरे हँसे तुम ग़म सुनो तो।
काग़ज़ नीलाम एक सुखी कलम पे,
स्याही ले जाओ अर्थ को सुनो तो।
पत्तों से लिपटे होंगी कुछ बूंदे,
इश्क़ में गिरकर बारिशें सुनो तो।
क्या एक हसी तुम्हारी जान हो गईं हैं,
उसे गले लगाकर धडकन सुनो तो।
हुस्न पे कोई घमंड करे हैं,
तुम सादगी से अपनी खूबसूरती सुनो तो।
हो तुम अकेले ग़र कभी भी,
आँखे बंद करो मेरी आवाज सुनो तो।
रातों में जागे है सपने किसी के,
चाँद को देखो रातें सुनो तो।
छोड़ दो संकेत ये दुनियां की बातें,
बीत गये लम्हे तुम यादें सुनो तो।-
"हे मन अधीर"
हे मन अधीर तुज स्तव शिथिल.
चंचल अवचित नयन असमंजस.
हृदय आंतर तव सुखमय सागर.
तु रस, पारस अन कर स्वर्ण मज .
देह उर भर स्पंदन स्पर्श .
करते मज लाज वसंत बावर.
मोह मोगरा अन मनी चाफा.
सुगंध तुजला मज लागो निश्चिंत,
नयन काजळी कर कणकण काकण.
कपाळ कुमकुम अन ओठ रस घागर.
तुज स्पर्श जणु कोमल मखमल,
कसे न होई मग माझे मन लागीर.
एकांत मज तुझा देय विसावा.
स्वप्न तुझे रात्र अलंकार व्हावा.
शब्द विसरावे मी तू नसल्यावर,
तु असल्यावर मज कविता न्हाव्या.-