SANJEEV SHARMA   (IG-$anjeeV$harmA_ज़ख़्मी)
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Joined 22 October 2019


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Joined 22 October 2019
28 APR AT 17:44

हम तन्हाई के मुरीद हैं ,
रंग ए महफ़िल क्या जानें ।
हम अपनी ही तन्हाई में रहते हैं ।।

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27 APR AT 22:06

छुपाया न होता गर इश्क़ अपना ,
तो इश्क़ बदनाम होता ।।
छुपा कर किया था इश्क़ सबसे,
यूँ ही नहीं हुआ हूं मैं बदनाम इतना ।।
हम रोज़ सैर पर जाते हैं ,
अपनी मुहब्बत के जंगल में ।।
रोज़ हो कर बेख़ौफ़ मिलते हैं ,
अपने बेवफ़ा महबूब से ।।
उफ़्फ़ ये यादों की बस्ती ,
हर वक़्त गुलज़ार रहती ।।
कभी इश्क़ की मस्ती ,
क़भी बेवफ़ाई की कश्ती ।

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27 APR AT 21:53

इश्क़ और चांद को तोल के देखा ,
क्या जोड़ी लगी कमाल की मुझे ।।
रग रग परत दर परत ,
मिल गईं जैसे दो नहीं एक हैं ।।
हुआ था जब इश्क़ क़भी मुझे ,
चांद से तोला था महबूब मैंने ।।
पुरजोर परवान हुआ था इश्क़ मेरा ,
जैसे बढ़ता इश्क़ चांद शुक्ल पक्ष का ।।
कुछ रोज़ गुज़रे तो हुई पूनम इश्क़ की ,
चमका इश्क़ मेरा चांदनी में पूरा ।।
इश्क़ चांदनी मिली अमावस के चांद जैसे ,
बढ़ती रही चांदनी जैसे बढ़ता हुआ चांद ।।

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27 APR AT 20:35

क़ायदों को ताख पर रखना ,
लोग अपनी मिल्कियत समझने लगते ।।
ज़रा की शोहरत क्या मिलती है ,
ख़ुद को आसमाँ समझते हैं ।।
ये जो इंसान है भूल जाता है ,
पल भर में हद और हैसियत अपनी ।।
रहते हैं जिस ज़मीन पर सब यहाँ,
वो ज़मीं भी चलती है उसूलों पर ।।

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24 APR AT 18:16

इश्क और पानी ,
दोनों एक सी तासीर रखते हैं ,
जब भी छलकते/चलते हैं
गिरा कर हर दीवार ,
अपनी राह खुद बना लेते हैं

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24 APR AT 16:31

महज़ इक दरार सी आई थी ।।
कोशिश तमाम रहीं ना कामयाब ।।
दूरियां बढ़ती गईं रिश्ते हुये तमाम ।।

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24 APR AT 15:47

हमारी, बेकरारी तब बढ़ी ,
हमें,जब उसका दीदार हुआ ।।
हमारी, हद तो तब हुई ,
जब उसका इकरार हुआ ।।
हम, बेक़ाबू तो तब हुये ,
जब उसको आगोश में लिया ।।
अब आगे का किस्सा कहें कैसे ,
के,दस्तूर ए जिस्म मुकम्मल हुआ ।।
चलो ,क़िस्सा यहीं ख़त्म करें ,
आगे, तो बस प्यार ही प्यार हुआ ।।

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22 APR AT 13:06

ये ज़रूरी नहीं ,
जो हमें अच्छा लगे ।।
वो अच्छा ही हो ,
ख़राब भी ज़रूरत पर ,
अच्छा लगता है ।।

02 jan.2024

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22 APR AT 13:02

गुजरा हुआ एक दौर हूँ मैं ।
डूबा हुआ रौशनी का कतरा हूँ मैं ।।

क्या सुनाऊं तुम्हें क़िस्सा अपना मैं ।
तेरी शख्सियत का गुजरा हुआ हिस्सा हूँ मैं ।।

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22 APR AT 12:55

हमारी इन मुलाक़ातों को ,
हम क़िस्सों में सुनायेंगे ।।
इक दौर वो भी आयेगा ,
देखने से इक दूसरे का चेहरा ,
हम अपनी नज़रें चुरायेंगे ।।

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