कैसा वक़्त आ गया है कि इधर एक-दूसरे का हाल पूछने में लगे हैं।
उधर गंगा में कौड़ियों की जगह हम
लाशें ढूँढने में लगे हैं।।-
Sanjeev Sakun
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Actor /Writer
Joined 12 December 2018
5 JUN 2021 AT 0:04
25 JUL 2020 AT 12:01
मुझे सुकून मिलता है, तेरे दिल के तहख़ाने में!
तेरी प्यास बुझाता हूँ, जाकर मैख़ाने में!!-
30 NOV 2019 AT 9:08
संसद के कैंटीन में बैठ कर सब्सिडी की रोटी तोड़ने वाले नेताओं पर मैं नहीं लिखता ।
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21 JUL 2019 AT 8:55
सागर के बीच बैठा साग़र पी रहा हूँ।
तेरी तस्वीर में तेरे गाल का तिल देखकर जी रहा हूँ।।-
17 JUL 2019 AT 7:44
ग़रीबों की मदद करनेवाला वो मानव नहीं भगवान है। औरत का चस्का लग जाए जिसे वो आदमी नहीं शैतान है।।
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15 JUL 2019 AT 22:10
मैंने उसकी मदद की शायद ये मेरा गुनाह था।
ख़ुदा बरकत देता है ऐसा सुना था।।-