लोग प्रेम में अक्सर इस वाक्य का प्रयोग करते हैं कि..
" मैं तुमपे मरता हूं "
लेकिन कान्हा मैं ये वाक्य तुमसे कभी बोल नहीं पाया
क्यूंकि मुझे हर पल यही लगता है कि ..
" तुमने मुझे मरना नहीं ब्लकि जीना सिखाया है "
राधे राधे-
मेरी जिन्दगी में तुम दोनों शामिल हो ऐसे
मंदिर के दरवाजे पर मन्नत के धागे हो जैसे ...-
आज दिनांक 15.05.2025 को व्यापारिक
बैठक में आपकी उपस्थिति अनिवार्य है..
बैठक संख्या 04
दिनांक 15.05.2025
समय रात्रि 08.30 Pm
स्थान Shaktidhaam plaza-
कान्हा...
मेरे जो भाव हैं तुम्हारे लिए वो सागर की लहरों जैसे हैं....
" गहरे, असीम और प्रवाहशील "
तुम अगर समझो तो ये भाव दिल तक उतर जाएंगे, और अगर ना समझो तो यह सिर्फ शब्दों का खेल रह जाएगा ..
सच तो ये है कान्हा..
जितने भाव मेरे दिल में हैं उतने शब्द ही नहीं बने,
जी चाहता है शब्दों को निचोड़ दूँ, टपका दूँ बूंद बूंद उनमें से भावनाएं तमाम जो आँखों को गिला करती हैं,
फैला दूँ भाव का आंचल और बांध लूँ अपने कन्हैया को अपने लिखे शब्दों से, अपने भाव से पर सही तो ये है कि शब्द कम पड़ जाते हैं ...
और अंत में दो ही शब्द याद रहते हैं....राधे- राधे.. जै श्री राधे
.... संजीव बंसल
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कान्हा 0 मेरे कान्हा..
तेरे इश्क़ में मर न जाऊँ कहीं,तू मुझे आज़माने की कोशिश न कर,
ख़ूबसूरत है तू और हो भी हसीं,मुझसे नज़रें चुराने की कोशिश न कर,
शौक़ से तू मेरा इम्तहान ले,तेरे चरणों पे रख दी है जान ले,
बेकदर बेखबर मान जा ज़िद ना कर,तोड़ कर दिल मेरा ऐ मेरे माधव..इस तरह मुस्कुराने की कोशिश ना कर
फेर ली क्यूँ नज़र मुझसे रूठ कर,दिल के टुकड़े हुये टूट कर,
क्या कहूं मैं अपने अराध्य को,क्यूँ तू है मुझसे ख़फ़ा,
इक बहाना है ये हक़ीक़त नहीं,यूँ बहाने बनाने की कोशिश ना कर,
कब से बैठा हूँ मैं इंतज़ार में, झूठा वादा ही कर कोई मेरे भाव पर,मेरे प्यार पर
क्या सितम है गोविन्द,तेरे सर की क़सम
याद चाहें ना कर तू मुझे ग़म नहीं,हाँ मगर भूल जाने की कोशिश ना कर
मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊँ कहीं,तू मुझे आज़माने की कोशिश न कर
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मेरे बांकेबिहारी..
आज तेरा ख्याल बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर ले आया है,
लबों पर सजा है तेरा नाम और आँखों में ईश्क उतर आया है..-
मेरे बांकेबिहारी..
आज तेरा ख्याल बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर ले आया है,
लबों पर सजा है तेरा नाम और आँखों में ईश्क उतर आया है..-
हे साँवरे..
आंखों में आंसू है मेरे,
चरण धोने आया हूं ,
हाथों की ये बंद लकीरें,
इन्हें खुलाने आया हूं
मारा मारा घूम घूम कर
तेरी शरण में आया हूं
भावों के ये पुष्प सांवरिया
तुम्हें चढ़ाने आया हूं..
राधे राधे.. जै श्री राधे-